दिल्ली दंगा: बीमार बेटी के इलाज के लिए तस्लीम अहमद को 15 दिन की अंतरिम जमानत

दिल्ली में 2020 के दंगों से जुड़ी बड़ी साजिश के मामले में जेल में बंद तस्लीम अहमद को अदालत से अस्थायी राहत मिली है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की अंतरिम जमानत दी है, ताकि वे अपनी बीमार बेटी के इलाज और देखभाल के साथ-साथ बेटे की शिक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था कर सकें।

हाई कोर्ट में लंबित है जमानत याचिका पर फैसला

तस्लीम द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को निर्धारित है। पिछली सुनवाई में अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह सवाल उठाया था कि जब दंगों को पांच वर्ष बीत चुके हैं, तो अब तक बहस क्यों पूरी नहीं हो सकी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि इस स्थिति में आरोपी को अनिश्चितकाल तक जेल में कैसे रखा जा सकता है।

वकील ने ट्रायल में देरी का दिया हवाला

तस्लीम के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले में अब तक 700 से अधिक गवाह हैं और सुनवाई पूरी होने की कोई निकट भविष्य में संभावना नहीं है। वकील ने यह भी उल्लेख किया कि इसी मामले में देरी के आधार पर वर्ष 2021 में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा जैसे सह-आरोपियों को जमानत दी जा चुकी है। तस्लीम को जून 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं।

पूर्व में खारिज हो चुकी है नियमित जमानत याचिका

22 फरवरी 2024 को निचली अदालत ने तस्लीम की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने सह-आरोपियों को मिली जमानत का हवाला देते हुए समानता के आधार पर राहत मांगी थी, लेकिन अदालत ने उसे अस्वीकार कर दिया था। नरवाल, कलिता और तन्हा को 15 जून 2021 को हाई कोर्ट से नियमित जमानत मिली थी।

दंगों में दर्जनों की जान गई थी

पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की जान गई थी और दो सौ से अधिक घायल हुए थे। इस हिंसा से जुड़ी कथित साजिश में तस्लीम अहमद के साथ-साथ उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन सहित लगभग 20 लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

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