त्रिवेणी का पवित्र जल रामेश्वरम रवाना, सीएम योगी ने की नई परंपरा की शुरुआत

उत्तर और दक्षिण भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने की दिशा में एक विशेष पहल वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम से शुरू हुई है। सोमवार की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीरामेश्वरम मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को त्रिवेणी संगम का पवित्र जल और रेत सौंपा। यह जल और रेत रामनाथस्वामी महादेव के अभिषेक में उपयोग किया जाएगा। इसके बदले में रामेश्वरम तीर्थ से प्राप्त पवित्र जल सावन की पूर्णिमा पर श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक में प्रयुक्त होगा।

बाबा विश्वनाथ के दर्शन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम का जल और प्रयाग की रेत श्री रामनाथस्वामी मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों—देवकोट्टई जमींदार परिवार के सीआरएम अरुणाचलम और कोविलूर स्वामी को प्रदान किया। इससे पहले 19 जून को ट्रस्टी अरुणाचलम ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ को पत्र भेजकर यह परंपरा निभाने के लिए जल भेजने का अनुरोध किया था।

पत्र में उल्लेख था कि वर्षों से संगम जल से रामनाथस्वामी का शयन आरती में अभिषेक होता आया है। इस परंपरा की निरंतरता के लिए उन्होंने हर महीने रामेश्वरम कोडी तीर्थम का जल काशी भेजने का भी प्रस्ताव दिया, जिससे बाबा विश्वनाथ का नियमित जलाभिषेक किया जा सके।

यह प्रस्ताव मंदिर ट्रस्ट की कार्यपालक समिति द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद, तीन जुलाई को मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण ने इसकी पुष्टि की। सोमवार को इस पवित्र आदान-प्रदान कार्यक्रम में प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य व पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम, मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

त्रिवेणी और कोडी तीर्थम जल का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिवेणी संगम के जल से रामेश्वरम में भगवान रामनाथस्वामी का अभिषेक और वहीं के कोडी तीर्थम के जल से काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। इसी प्रकार, रामेश्वरम की पवित्र रेत को प्रयाग की रेत में मिलाने की परंपरा भी शास्त्रों में विशेष महत्व रखती है, जो देश के दो पवित्रतम तीर्थों के बीच आध्यात्मिक सेतु के रूप में कार्य करती है।

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