प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कच्चातिवू द्वीप, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), अक्साई चिन और करतारपुर साहिब से जुड़े मामलों में कांग्रेस की नीतियों और फैसलों को देश के लिए नुकसानदायक बताया। उन्होंने कहा कि जब-जब पंडित नेहरू का नाम लिया जाता है, कांग्रेस और उसके समर्थकों में बेचैनी बढ़ जाती है।
पीएम मोदी ने कहा कि देश को आजादी के बाद जो नीतिगत फैसले विरासत में मिले, उनका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस सवाल करती है कि हमने PoK क्यों नहीं लिया, लेकिन असली सवाल यह है कि PoK पर कब्जा पाकिस्तान को आखिर करने किसने दिया?
1971 में था मौका, लेकिन कांग्रेस ने नहीं दिखाया संकल्प
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1971 की जंग में भारत के पास पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक बंदी थे और हमारी सेना ने पाकिस्तान के बड़े इलाके पर कब्जा किया था। ऐसे में अगर थोड़ी सी राजनीतिक दूरदृष्टि और इच्छाशक्ति दिखाई जाती, तो PoK को वापस लिया जा सकता था। यहां तक कि करतारपुर साहिब को भी भारत में शामिल किया जा सकता था, लेकिन यह भी नहीं किया गया।
कच्चातिवू द्वीप और अक्साई चिन पर कांग्रेस की नीति पर सवाल
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि 1974 में कांग्रेस सरकार ने कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया, जिससे आज भारतीय मछुआरों को मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अक्साई चिन को ‘बंजर भूमि’ बताकर देश की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन गंवा दी गई। 1962-63 के दौरान कांग्रेस नेता जम्मू-कश्मीर के कई संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़ने की बात कर रहे थे, जिसे ‘लाइन ऑफ पीस’ का नाम दिया गया।
रन ऑफ कच्छ, हाजीपीर पास और क्षणबेट का जिक्र
प्रधानमंत्री ने बताया कि 1966 में रन ऑफ कच्छ के मुद्दे पर कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता स्वीकार की, जिसके बाद भारत का लगभग 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया गया, जिसमें क्षणबेट क्षेत्र भी शामिल था। उन्होंने यह भी कहा कि 1965 की लड़ाई में भारतीय सेना ने हाजीपीर पास को फिर से अपने कब्जे में लिया था, लेकिन उसे भी कांग्रेस ने लौटा दिया।
“भारत के हितों को गिरवी रखने की आदत कांग्रेस को छोड़नी चाहिए”
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की नीतियों को भारत के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि नकारात्मकता और राष्ट्रहित की अनदेखी कांग्रेस की पुरानी प्रवृत्ति रही है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस अपने बीते फैसलों की समीक्षा करे और उनसे सीख ले।