लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर भारत सचमुच ‘विश्वगुरु’ होता, तो बार-बार आतंकी हमलों का सामना क्यों करना पड़ता? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देशवासियों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है।
कनिमोझी ने विदेशों में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भेजे गए प्रतिनिधिमंडल में विपक्ष के नेताओं को शामिल करने पर सरकार का आभार जताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यदि इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने की जरूरत ही न पड़ती, तो वे ज्यादा संतुष्ट होतीं। उन्होंने कहा, “पहली बार सरकार ने विपक्ष पर विश्वास दिखाया, इसके लिए धन्यवाद। लेकिन यह स्थिति जश्न की नहीं, गहरे दुख की है, क्योंकि इन यात्राओं की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि देश में शांति कायम नहीं हो सकी।”
डीएमके सांसद ने कहा कि देश को इस स्थिति में इसलिए आना पड़ा क्योंकि शासन की ओर से नागरिकों को निराश किया गया। उन्होंने गृह मंत्री के भाषण को विपक्ष पर दोष मढ़ने वाला करार देते हुए कहा कि अब राजनीति आरोप-प्रत्यारोप का खेल बन चुकी है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हालिया आतंकी घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि मई 2024 में रियासी में तीर्थयात्रियों की हत्या, फिर अक्टूबर, नवंबर 2024 और अप्रैल 2025 में श्रीनगर व पहलगाम में हमले हुए। पुलवामा में भारी मात्रा में आरडीएक्स लाया गया, पर इन घटनाओं पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
कनिमोझी ने सवाल उठाया कि जब खुफिया एजेंसियों रॉ और आईबी ने संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दी थी, तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उन्होंने कहा, “सरकार ने चेतावनियों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? हालात को इस मुकाम तक कैसे पहुँचने दिया गया?”