पंजाब में किसानों का आंदोलन एक बार फिर तेज होने जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने घोषणा की है कि राज्य सरकार की लैंड पूलिंग नीति के विरोध में 7 अगस्त को लुधियाना में व्यापक प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध कार्यक्रमों की रूपरेखा पेश की। 10 अगस्त को पानीपत, 11 अगस्त को राजस्थान, 14 अगस्त को मध्य प्रदेश और 17-18 अगस्त को उत्तर प्रदेश में भी प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
डल्लेवाल ने मंगलवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की यह नीति किसानों की जमीनें छीनने का जरिया बन गई है, जिसे किसान किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सरकार को अपनी नीति वापस लेने के लिए मजबूर करेगा।
इसके अलावा 25 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर के किसान इकट्ठा होंगे। इस प्रदर्शन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने और कृषि व डेयरी क्षेत्र को मुक्त व्यापार समझौतों से बाहर रखने की मांगें प्रमुख होंगी।
डल्लेवाल ने आरोप लगाया कि पहले किसानों को चंडीगढ़ से हटाया गया, फिर मोहाली में उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया गया। उन्होंने बताया कि कई किसानों को अभी तक पूर्व में बनाई गई लैंड पूलिंग योजना का लाभ नहीं मिला है। उदाहरण के तौर पर, सेक्टर-88 की जमीन अधिग्रहित कर उन्हें सेक्टर-91 में वाणिज्यिक प्लॉट दिए गए, लेकिन अब उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि यदि वे समय पर निर्माण नहीं करेंगे तो जुर्माना लगाया जाएगा।
उन्होंने सरकार पर जबरन नीति थोपने और किसानों को पर्याप्त मुआवजा न देने का आरोप लगाया। डल्लेवाल ने कहा कि जब उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण होता है तो किसानों को चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए, साथ ही भूमि के बदले भूमि और रोजगार देने का प्रावधान भी होना चाहिए, लेकिन वर्तमान नीति में ऐसा कुछ नहीं है।
‘आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा’
डल्लेवाल ने स्पष्ट किया कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से बातचीत की उम्मीद के बावजूद पंजाब सरकार ने किसानों का भरोसा तोड़ा है।
उन्होंने नए हाईवे निर्माण का भी विरोध किया, जिनके माध्यम से किसानों की जमीन ली जा रही है। डल्लेवाल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह खेतों में जाकर किसानों से मिलने की बात तो करते हैं, लेकिन उनकी वास्तविक समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे। उन्होंने खेती की बढ़ती लागत को किसानों के कर्ज बढ़ने का प्रमुख कारण बताया।