कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विशेष चर्चा के दौरान केंद्र सरकार की नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन प्रभावशाली और सफल रहा, लेकिन इसे निर्णायक करार देना जल्दबाजी होगी। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि जब अभियान सफल था, तो फिर पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की जरूरत क्यों पड़ी।
चिदंबरम ने कहा, “अगर मुझसे पूछा जाए कि ऑपरेशन सिंदूर प्रभावशाली था या नहीं, तो मेरा जवाब है– हां। क्या यह सफल रहा? हां। लेकिन क्या इसे निर्णायक कहा जा सकता है? इसका उत्तर समय देगा।” उन्होंने भारतीय सेना की क्षमता और तत्परता की सराहना की, लेकिन साथ ही यह सवाल उठाया कि ऐसे अभियान के बाद सरकार ने संघर्षविराम की मंजूरी क्यों दी।
पूर्व गृहमंत्री ने सरकार की रणनीति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब भारत कई मोर्चों पर एक साथ चुनौती झेल रहा है। उन्होंने कहा, “भारत अब केवल एक या दो सीमाओं पर नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन के संभावित गठजोड़ से एक साझा मोर्चे का सामना कर रहा है। ऐसे में सरकार के पास इन स्थितियों से निपटने की क्या ठोस योजना है?”
उन्होंने विदेश नीति को लेकर भी सवाल उठाए और पूछा कि भारत सरकार ने दुनिया के विभिन्न देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजे, लेकिन पड़ोसी देशों– नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव के प्रति उपेक्षा क्यों बरती गई?
‘दुनिया ने आतंकवाद की निंदा की, लेकिन पाकिस्तान का नाम नहीं लिया’
चिदंबरम ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद विश्व स्तर पर आतंकवाद की आलोचना हुई, परंतु किसी भी देश ने पाकिस्तान का नाम लेकर उसकी भूमिका पर सवाल नहीं उठाया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन देता रहा है, लेकिन भारत में हुए कई हमलों में आतंकी नेटवर्क को घरेलू सहयोग भी मिला है। बाहरी और आंतरिक तत्वों का गठजोड़ खतरनाक है।”
कर्नल कुरैशी पर मंत्री के बयान को लेकर विपक्ष हमलावर
राज्यसभा में विपक्षी दलों ने मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री के बयान को लेकर भी तीखा विरोध जताया। द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा और आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा मंत्री विजय शाह ने भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में आपत्तिजनक बयान दिया, लेकिन प्रधानमंत्री और भाजपा ने इस पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने इसे ‘मौन समर्थन’ बताया।
शिवा ने कहा कि कर्नल कुरैशी को ‘पाकिस्तानी आतंकियों की बहन’ कहना न सिर्फ आपत्तिजनक है बल्कि निंदनीय भी है। उन्होंने कहा, “केवल इस वजह से कि वह मुस्लिम हैं, उन्हें आतंकवाद से जोड़ दिया गया? यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस पर खामोश है और मंत्री अब भी पद पर बने हुए हैं।”
संजय सिंह ने भी सरकार को घेरा
आप सांसद संजय सिंह ने सवाल उठाया, “कर्नल सोफिया कुरैशी, जो ऑपरेशन सिंदूर में देश के सामने वीरता का प्रतीक बनीं, उन्हें आतंकवादियों से जोड़ने की कोशिश कैसे की गई?” उन्होंने कहा कि देश को अपने सैनिकों पर गर्व है, लेकिन जब सत्ता पक्ष के नेता ऐसे बयान देते हैं और उस पर सरकार चुप रहती है, तो यह सेना के सम्मान को चोट पहुंचाता है।
संजय सिंह ने यह भी मुद्दा उठाया कि विदेश सचिव की बेटी के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के बावजूद सरकार की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, जिससे उन्हें अपना अकाउंट तक बंद करना पड़ा।