गाजा संकट पर भारत का स्पष्ट रुख: युद्धविराम और निर्बाध मानवीय सहायता की मांग

संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन मुद्दे पर आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि गाजा में लोगों तक मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि राजनीतिक मतभेद और संघर्ष, मानवीय राहत में बाधा नहीं बनने चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात में प्राथमिक ज़रूरत गाजा में आवश्यक राहत पहुंचाने की है। हजारों लोगों की जान जा चुकी है, बड़ी संख्या में लोग घायल हैं और अस्पताल या तो ध्वस्त हो चुके हैं या ठीक से काम नहीं कर पा रहे। उन्होंने बताया कि गाजा में बच्चे लगभग 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जो चिंताजनक है।

सीधी वार्ता से ही निकलेगा समाधान

पी. हरीश ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब अपने प्रयास इस दिशा में केंद्रित करने चाहिए कि दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के लिए कैसे प्रेरित किया जाए। उन्होंने दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ने को ज़रूरी बताया और कहा कि इसका रास्ता संवाद और कूटनीति से ही निकलेगा।

राजनीति से ऊपर हो मानवीय सहायता

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गाजा के लोगों को भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। ये सभी आवश्यकताएँ राजनीति और संघर्ष से परे रखी जानी चाहिए क्योंकि ये सीधे लोगों के जीवन से जुड़ी हैं। भारत ने पहले भी गाजा संघर्ष को लेकर युद्धविराम की तत्काल ज़रूरत, बंधकों की रिहाई और संवाद के ज़रिये समाधान की मांग की थी।

स्थायी समाधान का समर्थक है भारत

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता देखना चाहता है। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि भारत व्यवहारिक और प्रभावी समाधान का पक्षधर है, जो वास्तव में फलस्तीनी लोगों के जीवन में बदलाव ला सके। भारत इस दिशा में हरसंभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

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