ईडी ने भेड़ पालन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच की तेज , हैदराबाद में कई ठिकानों पर छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करोड़ों रुपये के भेड़ पालन और वितरण से जुड़े कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। बुधवार को एजेंसी ने हैदराबाद में कई स्थानों पर छापेमारी की। यह घोटाला बीआरएस सरकार के कार्यकाल के दौरान सामने आया था।

सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी उन लोगों के ठिकानों पर की गई जो इस घोटाले से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं। इनमें बीआरएस के पूर्व मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) जी. कल्याण, कुछ लाभार्थी और कथित बिचौलिए शामिल हैं। कुल मिलाकर शहर में कम से कम आठ जगहों पर छापे डाले गए। यह कार्रवाई राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर की जा रही है।

ईडी जांच में अब तक क्या सामने आया?

ईडी को अब तक की जांच में पता चला है कि एफआईआर में दर्ज घोटाले की राशि केवल 2.1 करोड़ रुपये बताई गई थी, जबकि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में राज्य को करोड़ों रुपये के नुकसान की बात कही गई है।

कैग की मार्च 2021 को समाप्त अवधि की ऑडिट रिपोर्ट में भेड़ पालन विकास योजना (एसआरडीएस) के क्रियान्वयन में कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इनमें लाभार्थियों का रिकॉर्ड ठीक से न रखना, परिवहन बिलों और भुगतानों का अधूरा दस्तावेजीकरण, यात्री वाहनों या गैर-व्यावसायिक गाड़ियों के नाम पर भुगतान, डुप्लीकेट टैग के जरिए भेड़ इकाइयों का आवंटन तथा मृत या काल्पनिक लोगों को भेड़ें आवंटित किए जाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

ईडी के अनुसार, यह रिपोर्ट केवल सात जिलों तक सीमित है, जहां राज्य सरकार को लगभग 253.93 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सूत्रों का कहना है कि यदि राज्य के सभी 33 जिलों की जांच की जाए, तो यह अनुमानित नुकसान 1,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

आंध्र प्रदेश शराब घोटाला: एसआईटी ने फार्महाउस से बरामद किए 11 करोड़ रुपये

इसी बीच आंध्र प्रदेश में सामने आए कथित 3,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने हैदराबाद के पास एक फार्महाउस पर छापा मारकर 11 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है।

यह कार्रवाई उस समय की गई जब आरोपी संख्या 40 (ए-40) के रूप में चिन्हित वरुण पुरुषोत्तम ने कथित तौर पर अपनी भूमिका स्वीकार कर ली और जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। इसके बाद फार्महाउस पर छापा डाला गया, जहां बड़ी मात्रा में नकदी छिपाकर रखी गई थी।

इस घोटाले में फर्जी कंपनियों के सहारे धन शोधन, रिश्वतखोरी और राजनीतिक संरक्षण जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। पुलिस के अनुसार, यह संदेहास्पद शराब घोटाला 2018 से 2024 के बीच, वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था।

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