पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने स्पष्ट किया है कि भंडार में कोई भी गुप्त कक्ष मौजूद नहीं है। एएसआई ने हाल ही में इसके संरक्षण और मरम्मत का कार्य पूरा किया है। 46 वर्षों के अंतराल के बाद, पिछले वर्ष 14 जुलाई को रत्न भंडार के आंतरिक हिस्से को मरम्मत और सूचीकरण के उद्देश्य से खोला गया था।
एएसआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया कि रत्न भंडार में कोई छुपी हुई जगह नहीं है। यह निष्कर्ष ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण के आधार पर सामने आया है। रत्न भंडार को दो हिस्सों में बांटा गया है — ‘भितारा’ रत्न भंडार और ‘बहारा’ रत्न भंडार, जिनके बीच एक लोहे का दरवाज़ा है।
रिपोर्ट में क्या सामने आया?
एएसआई ने दोनों कक्षों के निरीक्षण के बाद जीपीआर सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया था, ताकि यह पता चल सके कि दीवारों या फर्श के भीतर कोई छिपी हुई संरचना या शेल्फ तो नहीं है। यह सर्वे सितंबर 2024 में किया गया था, जिसकी रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि रत्न भंडार में कोई गुप्त स्थान नहीं है।
संरक्षण कार्य का विवरण
रत्न भंडार मंदिर के जगमोहन के उत्तरी द्वार से जुड़ा हुआ है और इसका निर्माण खोंडालाइट पत्थरों से किया गया है। इसका उपयोग भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और श्री सुदर्शन की अमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता रहा है।
संरक्षण कार्य दो चरणों में पूरा किया गया—पहला चरण 17 दिसंबर 2024 से 28 अप्रैल 2025 तक और दूसरा 28 जून से 7 जुलाई 2025 तक चला। इस दौरान एएसआई टीम ने आंतरिक छत, कॉर्बल्स, आलों, दीवारों और बाहरी हिस्से के प्लास्टर की स्थिति का मूल्यांकन किया। क्षतिग्रस्त पत्थरों को हटाकर उनकी जगह मेल खाते नए खोंडालाइट ब्लॉकों को स्थापित किया गया। साथ ही, ढीले जोड़ों को सील कर रासायनिक सफाई की गई।
मुख्य बदलाव
मरम्मत कार्य के तहत पुराने और जंग लगे लोहे की बीमों को हटाकर उनकी जगह स्टेनलेस स्टील की बॉक्स बीम लगाई गई हैं। इसके अलावा, रत्न भंडार की फर्श से बलुआ पत्थरों को हटाकर ग्रेनाइट पत्थर लगाए गए हैं, जिससे जल निकासी बेहतर हो गई और दरवाजों का संचालन सुचारू हुआ। लोहे की आंतरिक ग्रिल को भी रासायनिक प्रक्रिया से साफ कर सुनहरे रंग से रंगा गया है।
गत वर्ष जुलाई में 46 साल बाद जब रत्न भंडार खोला गया था, तब से अब तक हुए कार्यों से यह स्पष्ट है कि इसकी मरम्मत और सुरक्षा के सभी पहलुओं पर गंभीरता से काम किया गया है।