निठारी कांड पर सुप्रीम कोर्ट की अंतिम मुहर, कोली और पंढेर को मिली राहत

निठारी हत्याकांड से जुड़े कानूनी अध्याय का लगभग समापन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस बहुचर्चित मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को राहत दी है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों द्वारा दायर सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट का फैसला कायम

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर 2023 के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें साक्ष्य के अभाव में कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया गया था। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने दोनों को मौत की सज़ा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने पलट दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपियों को दोषमुक्त करने के फैसले में कोई कानूनी खामी नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सुरेंद्र कोली की कथित निशानदेही पर जो खोपड़ियां और अन्य वस्तुएं बरामद की गईं थीं, वे कानूनी रूप से साक्ष्य के रूप में मान्य नहीं हैं, क्योंकि इनकी बरामदगी से पहले कोली का बयान पुलिस ने विधि सम्मत ढंग से दर्ज नहीं किया था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल ऐसे स्थान से मिली वस्तुएं ही सबूत मानी जा सकती हैं, जहां आरोपी की विशेष पहुंच हो।

क्या था निठारी कांड?

नोएडा के निठारी गांव में वर्ष 2005-2006 के बीच बच्चों और महिलाओं के लापता होने की घटनाओं ने तब सनसनी फैला दी थी, जब दिसंबर 2006 में सेक्टर-31 स्थित मोनिंदर सिंह पंढेर के आवास के पास एक नाले से कई मानव कंकाल बरामद हुए। जांच के बाद सुरेंद्र कोली और पंढेर को आरोपी बनाया गया। कोली को 16 में से 12 मामलों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा दी गई थी, जबकि पंढेर को दो मामलों में मृत्युदंड सुनाया गया था।

जांच और फैसलों की कड़ी

2014 में कोली की कुछ मामलों में सजा को उम्रकैद में बदला गया। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे मामले की पुनः समीक्षा करते हुए 2023 में दोनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और सीबीआई की जांच को ‘निराशाजनक’ करार दिया।

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