लोकसभा में बुधवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत सरकार ने 1,400 से अधिक डिजिटल यूआरएल ब्लॉक किए हैं। इनमें अधिकतर सोशल मीडिया अकाउंट पाकिस्तान से संचालित हो रहे थे और इनके माध्यम से भारत विरोधी एवं भ्रामक सामग्री प्रसारित की जा रही थी।
मंत्री ने जानकारी दी कि ये सोशल मीडिया हैंडल देश के बाहर से संचालित हो रहे थे और ऑपरेशन के दौरान दुष्प्रचार में लिप्त पाए गए। उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत यह कार्रवाई की गई, ताकि राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाये रखा जा सके। यह जानकारी उन्होंने भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के एक सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव रिपोर्टिंग से मीडिया को परहेज करने की सलाह दी गई थी। ऑपरेशन के दौरान एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष की भी स्थापना की गई थी, जो संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करता था। यह कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय रहा और मीडिया को अद्यतन सूचनाएं उपलब्ध कराता रहा।
इस नियंत्रण कक्ष में सेना, नौसेना, वायुसेना के प्रतिनिधियों के साथ सरकारी मीडिया एजेंसियों और प्रेस सूचना ब्यूरो के अधिकारी शामिल थे। सोशल मीडिया पर चल रहे फेक न्यूज और भ्रामक कंटेंट की पहचान की जाती थी।
वैष्णव ने आगे बताया कि प्रेस सूचना ब्यूरो के अंतर्गत कार्यरत फैक्ट फाइंडिंग यूनिट सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखती रही। इस यूनिट ने ऑपरेशन, सरकारी एजेंसियों और सुरक्षा बलों से जुड़ी फर्जी तस्वीरों, एडिट किए गए वीडियो और दुष्प्रचार को चिन्हित कर उसे खंडित किया। इसके अलावा, पाकिस्तान से फैलाए जा रहे भारत विरोधी नैरेटिव्स का भी खंडन किया गया और उनके सटीक तथ्य सार्वजनिक किए गए।