गुरुवार सुबह तक राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 800 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। हालांकि, अब भी लगभग 60 से 70 यात्री मौके पर मौजूद हैं। लगातार हो रही बारिश और खराब मौसम के बीच राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि अधिकांश चारधाम मार्ग खुले हैं और किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है।
उन्होंने कहा कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच कुछ स्थानों पर मलबा जमा है, लेकिन यह मार्ग प्रतिदिन खोलने का प्रयास किया जा रहा है। सिरोबगड़ क्षेत्र में सड़क अक्सर बंद रहती है, जिसे खोलने और स्थायी मरम्मत के प्रयास जारी हैं। वहीं, गंगोत्री जाने वाला राजमार्ग और पिथौरागढ़ का एक अन्य मार्ग भी बंद है। राज्य में लगभग 35 ग्रामीण और लोक निर्माण विभाग की सड़कों को खोलने का कार्य जारी है, जबकि अधिकांश मुख्य मार्ग चालू हैं।
मौसम विभाग से प्राप्त चेतावनी के बाद सभी जिलों को अलर्ट भेजा गया है। गुरुवार सुबह तक करीब 200 यात्री दर्शन कर लौट चुके हैं, जो पैदल ट्रैक से वापस आ रहे थे।
बुधवार को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने गौरीकुंड से 2179 यात्रियों को सुरक्षित निकालकर सोनप्रयाग पहुंचाया। ये श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहे थे, लेकिन मुनकटिया के पास भूस्खलन के कारण फंसे हुए थे। यात्रियों को निकालने के लिए सुरक्षाबलों ने हाईवे से एक किलोमीटर पहले जंगल की ओर एक अस्थायी मार्ग तैयार किया और उसी रास्ते से उन्हें सोनप्रयाग तक पहुंचाया गया।
एसडीआरएफ के एसआई आशीष डिमरी ने जानकारी दी कि बुधवार शाम तक 2179 यात्रियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया, जिनमें 1679 पुरुष, 414 महिलाएं और 47 बच्चे शामिल थे। ये सभी श्रद्धालु मंगलवार को ही पैदल मार्ग से केदारनाथ धाम पहुंचे थे।
प्रदेश में भारी बारिश के बाद अब भी एक राष्ट्रीय राजमार्ग और दो राज्य मार्ग सहित कुल 62 सड़कें बंद पड़ी हैं। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार, रुद्रप्रयाग-केदारनाथ राजमार्ग पर गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच भूस्खलन के कारण आवागमन रुका हुआ है। उत्तरकाशी और नैनीताल जिलों में एक-एक राज्य मार्ग भी फिलहाल अवरुद्ध हैं।