मालेगांव धमाका मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सातों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में बयानबाज़ी तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल ने इसे कांग्रेस द्वारा सत्ता में रहते हुए ‘हिंदू आतंकवाद’ का झूठा विमर्श गढ़ने का परिणाम बताया है, वहीं कांग्रेस नेताओं ने आरोपों को खारिज किया है।
दिग्विजय सिंह ने दी सफाई
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जो इस मुद्दे पर लंबे समय से आलोचनाओं के घेरे में रहे हैं, ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी ‘हिंदू’ या ‘भगवा’ आतंकवाद जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर मेरा ऐसा कोई बयान या वीडियो मौजूद है तो उसे सार्वजनिक किया जाए। मुझे बेवजह बदनाम न किया जाए।”
सिंह ने आगे कहा, “मैंने ‘संघी आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया था क्योंकि उस समय मुख्यमंत्री रहते मेरे पास अभिनव भारत, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता के प्रमाणात्मक इनपुट थे। इसी दौरान मैंने सिमी पर प्रतिबंध भी लगाया था। कांग्रेस का हमेशा से मानना है कि आतंकवाद का न कोई धर्म होता है और न ही जाति।”
‘आतंक का दर्द हमने भी सहा’
दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद की पीड़ा को अच्छी तरह समझती है। “महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और बेअंत सिंह जैसे नेता आतंक के शिकार हुए हैं। हम हर तरह के कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ हैं।”
सत्तापक्ष ने किया कांग्रेस पर प्रहार
कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “सभी आरोपियों का निर्दोष साबित होना कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता पर करारा प्रहार है। कांग्रेस को सनातन धर्म, संतों और भगवा प्रतीकों का अपमान करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हिंदू आतंकवाद जैसा कोई विचार कभी अस्तित्व में नहीं रहा। यह फैसला सत्य की जीत है और सनातनियों को बदनाम करने वालों के लिए सबक है।”
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा, “आज साध्वी प्रज्ञा को न्याय मिला है, वह निर्दोष सिद्ध हुई हैं।”