सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली स्थित आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (एसीएमएस) को 2022 बैच के एमबीबीएस इंटर्न को प्रति माह 25,000 रुपये की दर से बकाया वजीफा आठ सप्ताह के भीतर चुकाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने यह निर्देश अभिषेक यादव और अन्य मेडिकल स्नातकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने एसीएमएस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम से यह सवाल उठाया कि आखिर क्यों 2022 बैच के इंटर्न को अब तक वजीफा नहीं दिया गया। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह कोई अनुदान नहीं, बल्कि इंटर्न का अधिकार है, क्योंकि वे संस्थान में मेहनत से कार्य कर रहे हैं।
निजी प्रबंधन की दलील ठुकराई गई
कॉलेज की ओर से यह तर्क दिया गया कि उसका संचालन एक निजी संस्था द्वारा किया जाता है और उसे सरकारी सहायता नहीं मिलती, इसलिए वजीफा देने की बाध्यता नहीं है। लेकिन पीठ ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि जब छात्र पूर्ण समय काम कर रहे हैं, तो उन्हें उचित भुगतान भी मिलना चाहिए।
अदालत ने कहा कि 2022 बैच के प्रशिक्षुओं को प्रति माह 25,000 रुपये दिए जाएं और पूरी राशि की गणना कर आठ सप्ताह में भुगतान सुनिश्चित किया जाए। साथ ही पीठ ने यह भी सुझाव दिया कि इससे पहले के बैचों को भी समान लाभ दिया जाना चाहिए।
विदेशी मेडिकल स्नातकों की स्थिति पर भी चिंता
याचिका में यह भी मुद्दा उठाया गया कि विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को बिना किसी भुगतान के कार्य करना पड़ रहा है, जो कि बंधुआ मजदूरी जैसा व्यवहार है। अदालत ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित मामलों को भी शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि उसने सितंबर 2023 में आदेश दिया था कि अक्टूबर 2023 से सभी इंटर्न को 25,000 रुपये प्रतिमाह वजीफा दिया जाना चाहिए, इसके बावजूद पूर्व बैच को अब तक भुगतान नहीं किया गया है।