स्याना हिंसा केस में छह साल बाद फैसला, पांच को उम्रकैद, 33 को सात साल की सजा

बुलंदशहर। वर्ष 2018 में स्याना क्षेत्र में हुई चर्चित हिंसा मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 38 अभियुक्तों को दोषी करार दिया। इनमें से पांच दोषियों को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि 33 अन्य को जानलेवा हमले, आगजनी, बलवे समेत अन्य धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई गई है। यह फैसला हिंसा की घटना के छह साल, सात महीने और 27 दिन बाद आया।

इन पांच को हुई उम्रकैद की सजा
कोर्ट ने प्रशांत नट, राहुल, डेविड, लोकेंद्र और जॉनी को दोषी मानते हुए हत्या में उम्रकैद की सजा सुनाई है।

33 दोषियों को सात साल कारावास
बाकी 33 आरोपियों पर बलवा, डकैती, आगजनी, मारपीट और धमकी देने जैसी गंभीर धाराएं साबित हुईं। इनमें योगेशराज, चमन, देवेन्द्र, आशीष, रोहित, जितेंद्र, सोनू, विशाल, हेमू, अंकुर, अमित, आशीष, हरेंद्र, भूपेश, मुकेश, रोबिन, सतीश, विनीत, राजीव, कोबरा, पवन, शिखर, उपेंद्र, सौरभ, राजकुमार, नितिन पंडित, कलुआ और जयदीप सहित अन्य शामिल हैं।

क्या था मामला?
3 दिसंबर 2018 को चिंगरावठी चौकी क्षेत्र के महाव गांव के जंगल में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद स्थानीय संगठनों के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने उग्र प्रदर्शन किया। भीड़ ने चौकी और वहां खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया। बवाल में स्याना कोतवाल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक ग्रामीण सुमित कुमार की गोली लगने से मौत हो गई थी।

पुलिस ने इस हिंसा के बाद राजद्रोह समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। शुरुआती जांच के बाद एसआईटी गठित की गई, जिसने चार्जशीट दाखिल कर 44 आरोपियों को जेल भेजा था। बाद में कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पांच आरोपियों को मृत मानते हुए केस से बाहर कर दिया और एक किशोर आरोपी की पत्रावली बाल न्यायालय भेज दी गई, जिसका मामला अब भी लंबित है।

राजद्रोह से नहीं साबित हो सकी साजिश
अदालत ने सभी अभियुक्तों को राजद्रोह की धारा में दोषमुक्त कर दिया, जबकि हत्या और जानलेवा हमले की धाराएं साबित हुईं। इस फैसले को लेकर जनपद भर में चर्चा बनी हुई है।

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