आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एसआईआर को लेकर फिर तीखा रुख अपनाया है। शनिवार को उन्होंने अपने सरकारी आवास पोलो रोड पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि मतदाता सूची की पूरी प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि नई वोटर लिस्ट में उनका नाम ही नहीं है, जबकि चुनाव आयोग ने तुरंत जवाब देते हुए सूची में उनका नाम दिखाया।
तेजस्वी ने दावा किया कि उन्होंने गणना के दौरान संबंधित फॉर्म भरने के बावजूद उनका नाम सूची से हटा दिया गया है। उन्होंने पूछा कि ऐसे में वह चुनाव कैसे लड़ेंगे? तेजस्वी का आरोप है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों के साथ-साथ उनके सुझावों को भी नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने पहले ही आशंका जताई थी कि नए संशोधन से गरीब तबके के नाम सूची से गायब हो सकते हैं, जबकि आयोग ने कहा था कि किसी का नाम नहीं हटेगा।
“सुनवाई नहीं हुई, नाम हटाने के कारण नहीं बताए”
तेजस्वी यादव ने बताया कि महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर आपत्तियां दर्ज कराईं, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने नाम हटाने की सूचना तो दी है, लेकिन यह नहीं बताया कि किस आधार पर नाम काटा गया। न तो ईपीआईसी नंबर दिए गए, न बूथ की जानकारी और न ही वोटर के पते का उल्लेख किया गया है।”
“चुनाव आयोग ने पहले ही बना लिया है मन”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि हर विधानसभा क्षेत्र से करीब 20-30 हजार नाम हटाए गए हैं, यानी कुल मिलाकर लगभग 8.5% वोटर सूची से गायब कर दिए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर अस्थायी पलायन के आधार पर 36 लाख नाम हटाए जा सकते हैं, तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार तो राज्य से तीन करोड़ से ज्यादा लोग बाहर रहते हैं — फिर केवल इतने ही नाम क्यों?

उन्होंने यह भी पूछा कि मतदाता का नाम हटाने से पहले क्या उन्हें सूचना दी गई? क्या फिजिकल वेरिफिकेशन हुआ? उन्होंने निर्वाचन आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग पहले से ही तय कर चुका है कि किस दल की सरकार बननी है।
तेजस्वी ने चुनाव आयुक्त से 10 सवाल पूछे
तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता में चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से 10 सवाल पूछते हुए पारदर्शिता की मांग की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बताएं कि किन कारणों से 65 लाख मतदाताओं का नाम हटा दिया गया? साथ ही, उन मतदाताओं की बूथवार सूची सार्वजनिक की जाए, जिनका नाम मतदाता सूची से गायब है। उन्होंने मांग की कि जब तक पूरी पारदर्शिता नहीं लाई जाती, तब तक आपत्तियों की दर्ज कराने की अवधि को बढ़ाया जाए, क्योंकि वर्तमान में आयोग ने केवल सात दिन का ही समय दिया है।
तेजस्वी ने अंत में चुनाव आयोग को चुनौती दी कि अगर उसने निष्पक्ष और ईमानदारी से काम किया है, तो सभी सवालों का जवाब सार्वजनिक तौर पर दे।