कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने शनिवार को जेडीएस नेता और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद की सजा मिलने पर भाजपा और जेडीएस की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर प्रकरण पर इन दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आवश्यक है। दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में शिवकुमार ने कहा, “जेडीएस और उसकी सहयोगी भाजपा इस मुद्दे पर खुलकर बोलने की स्थिति में हैं, फिर भी चुप क्यों हैं? क्या वे डरते हैं?”
“कांग्रेस सिर्फ न्याय की पक्षधर” — डीके शिवकुमार
शिवकुमार ने कहा कि जेडीएस प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा, युवा अध्यक्ष निखिल कुमारस्वामी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र, नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक और केंद्रीय मंत्रियों को इस विषय पर सार्वजनिक रूप से अपनी राय रखनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस प्रतिक्रिया देती है तो उसे राजनीति कहा जाता है, जबकि पार्टी का उद्देश्य केवल न्याय और कानून का सम्मान है।
दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद: क्या है मामला?
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीएस के टिकट पर मैदान में थे, को एक विशेष अदालत ने एक महिला से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2021 का है, जब 48 वर्षीय एक महिला, जो हासन जिले के होलेनारसीपुरा स्थित फार्महाउस में घरेलू सहायिका के तौर पर कार्यरत थी, ने रेवन्ना पर दो बार दुष्कर्म का आरोप लगाया—एक बार फार्महाउस में और दूसरी बार बेंगलुरु स्थित निवास पर। पीड़िता के अनुसार, इन घटनाओं के वीडियो भी रेवन्ना ने मोबाइल में रिकॉर्ड किए थे।
पेन ड्राइव से उजागर हुआ मामला
यह मामला तब सामने आया जब लोकसभा चुनाव से पहले हासन क्षेत्र में रेवन्ना से संबंधित आपत्तिजनक वीडियो पेन ड्राइव के जरिये वायरल हुए। इसके बाद चार अलग-अलग मामले दर्ज हुए और राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। रेवन्ना को 31 मई को बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया, जब वे जर्मनी से लौटे थे। इसके बाद उन्हें एसआईटी महिला अधिकारियों के साथ कार्यालय ले जाया गया। जेडीएस ने केस दर्ज होने के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।
भाजपा का पक्ष
इस प्रकरण पर धारवाड़ में संवाददाताओं से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “न्यायालय ने सबूतों के आधार पर निर्णय दिया है। सभी पक्षों को इस फैसले को स्वीकार करना चाहिए। हमने पहले भी कहा था कि यदि अपराध हुआ है, तो कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। अब जबकि कोर्ट ने निर्णय सुना दिया है, तो संबंधित पक्षों को अपील का अधिकार है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से पीड़िता को न्याय मिला है।