विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, ने लंबे समय से निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर आयोग की मंशा पर अब विपक्षी दलों का विरोध और तेज हो गया है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा है कि आयोग की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है, यही वजह है कि विपक्ष इस मुद्दे पर संसद में खुली चर्चा चाहता है।
गौरव गोगोई का आरोप: आयोग की साख पर उठे सवाल
असम में कांग्रेस की राज्य कार्यकारिणी की बैठक से पहले पत्रकारों से बातचीत में गोगोई ने कहा कि आम लोगों के मन में आयोग की निष्पक्षता को लेकर गहरी शंका है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कुछ छिपाना चाहती है, हालांकि वह क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि कहीं यह पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में गड़बड़ी से जुड़ा मामला तो नहीं है।
जनता को मिले जानकारी, सरकार चर्चा से कतरा रही
कांग्रेस नेता ने कहा कि नागरिकों को अपने मताधिकार और मतदान केंद्र की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब विपक्ष इस पर चर्चा चाहता है, तो सरकार इससे पीछे हट रही है। इससे यह आशंका और गहरी हो जाती है कि सरकार कुछ छुपाना चाहती है।
लोकसभा अध्यक्ष को विपक्ष का पत्र
इससे पहले राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर बिहार में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर तुरंत विशेष चर्चा आयोजित करने की मांग की थी। पत्र में उन्होंने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता, समय-सीमा और उद्देश्य को लेकर गहरी चिंता जताई थी। पत्र पर कांग्रेस के गौरव गोगोई, डीएमके के टीआर बालू, टीएमसी की काकोली घोष दस्तीदार, एनसीपी की सुप्रिया सुले, आरजेडी के अभय कुमार सहित कई सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
चुनाव प्रक्रिया पर असर डाल सकती है संशोधन प्रक्रिया
विपक्षी सांसदों ने अपने पत्र में कहा कि यह प्रक्रिया सीधे मताधिकार और स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को मौजूदा सत्र की शुरुआत से ही बार-बार उठाया गया है, लेकिन अब तक इस पर चर्चा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
SIR के खिलाफ संसद में विरोध जारी
विपक्ष का आरोप है कि बिहार में SIR के नाम पर मतदाता सूची से चुनिंदा नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे कई नागरिकों को मतदान से वंचित करने की आशंका है। विपक्ष संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है और विशेष बहस के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने कहा कि बिना पारदर्शिता के चल रही यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बन सकती है।