मालेगांव विस्फोट मामले में बरी हुए पुरोहित का पुणे में स्वागत

मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत से बरी किए गए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित का रविवार को पुणे में जोरदार स्वागत हुआ। समर्थकों ने उन पर फूल बरसाए और ढोल-नगाड़ों की धुन पर उल्लास जताया। इस दौरान पुरोहित ने कहा कि लोग लंबे समय से उनके स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन उन्होंने पहले ही कह दिया था कि वे तभी लौटेंगे जब न्याय की पूरी जीत होगी।

खुली जीप में पत्नी के साथ जुलूस निकालते हुए वे शांतिशीला हाउसिंग सोसाइटी स्थित अपने आवास पहुंचे। इस दौरान ‘जय श्रीराम’ और ‘सनातन धर्म की जय’ के नारे लगे। स्थानीय लोगों ने भगवा झंडों के साथ उनका स्वागत किया और पुष्पवर्षा की।

‘मैंने कहा था, निर्दोष साबित होकर ही लौटूंगा’

जुलूस के दौरान ले. कर्नल पुरोहित ने कहा, “लोग हमेशा मेरा स्वागत करना चाहते थे, लेकिन मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जब तक कोर्ट से पूरी तरह बेदाग साबित नहीं हो जाता, मैं इस तरह के अभिनंदन का हिस्सा नहीं बनूंगा।” उन्होंने आगे कहा, “अब जब अदालत ने फैसला दे दिया है, तो मैं यह मानने से इनकार नहीं कर सकता कि यह पल मेरे लिए कितना भावुक और गौरवपूर्ण है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें बेहद संतोष है कि उनके अपनों ने इतने वर्षों के संघर्ष के बाद उनका इतने आत्मीय भाव से स्वागत किया।

17 साल बाद मिला न्याय: कॉलेज मित्र

पुरोहित के कॉलेज के एक पुराने मित्र ने कहा, “उन्हें आखिरकार 17 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद न्याय मिला है। वे एक झूठे मामले में फंसाए गए थे। अब जब अदालत ने उन्हें निर्दोष ठहराया है, तो यह स्वाभाविक है कि हम उनका सम्मानपूर्वक स्वागत करें।”

एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी

एनआईए की विशेष अदालत ने 31 जुलाई 2025 को दिए अपने फैसले में ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सातों आरोपियों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर सका। इस मामले में शुरू में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से सात के खिलाफ ही मुकदमा चला, बाकी को पहले ही रिहा किया जा चुका था।

क्या था मालेगांव विस्फोट मामला

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के निकट खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक घायल हुए थे। मामले में आरोपियों पर यूएपीए, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और आपराधिक साजिश के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था।

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