शंकराचार्य का सवाल: संसद में मूर्ति ले जाई गई, असली गाय क्यों नहीं?

वाराणसी। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रविवार को सेंट्रल विस्टा परिसर में नव संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर संसद भवन में गाय की आकृति वाला सेंगोल ले जाया जा सकता है, तो फिर वास्तविक गाय को अंदर ले जाने में क्या आपत्ति थी? उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक जीवित गाय का भी प्रवेश कराना चाहिए था, ताकि उसे गौ माता का वास्तविक आशीर्वाद मिल सके।

शंकराचार्य ने कहा, “अगर उस समय ऐसा नहीं किया गया, तो हम पूरे देश से गायों को संसद भवन तक ले जाने को तैयार हैं, ताकि देश और नेतृत्व को वास्तविक गो आशीर्वाद प्राप्त हो।”

महाराष्ट्र सरकार से ‘गौ सम्मान प्रोटोकॉल’ की मांग

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने महाराष्ट्र सरकार से यह आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द गौ सम्मान के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक यह तय नहीं किया गया है कि गाय को किस रूप में और कैसे सम्मान दिया जाए। ऐसे में एक निर्धारित प्रोटोकॉल बनाया जाना चाहिए, जिसका पालन सभी करें और उल्लंघन की स्थिति में दंड का प्रावधान भी हो।

उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि देश के हर विधानसभा क्षेत्र में “रामधाम” नाम से एक गौशाला स्थापित की जाए, जिसमें कम से कम 100 गायों की व्यवस्था हो।

गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग

धर्म संसद में होशंगाबाद के सांसद दर्शन सिंह चौधरी द्वारा गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग पर धार्मिक सभा ने समर्थन जताते हुए बधाई प्रस्ताव पारित किया है। शंकराचार्य ने कहा कि यह कदम सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को सशक्त करेगा।

भाषा विवाद और न्याय पर विचार

मराठी बनाम हिंदी के भाषाई विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि हिंदी और मराठी दोनों भाषाएं अनेक बोलियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, और दोनों की अपनी-अपनी ऐतिहासिक मान्यता है। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा के नाम पर हिंसा आपराधिक कृत्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

मालेगांव विस्फोट मामले पर उन्होंने न्याय की मांग करते हुए कहा कि “वास्तविक दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि धर्म कभी अन्याय का समर्थन नहीं करता।

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