मध्य प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक बारिश से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में 275 लोगों की जान जा चुकी है। इन मौतों में अधिकतर बिजली गिरने, डूबने और सड़क हादसों से हुई हैं। प्रशासन लगातार लोगों से नदियों, नालों और जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहने की अपील कर रहा है, क्योंकि कई इलाकों में अब भी खतरा बना हुआ है।
बिजली गिरने और डूबने से सबसे ज्यादा मौतें
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक हुई 275 मौतों में से 61 की जान बिजली गिरने से गई है, जबकि 144 लोग पानी में डूब गए। सड़क हादसों में 57 और दीवार या मलबा गिरने जैसी घटनाओं में 13 लोगों की मृत्यु हुई है। बीते 24 घंटों में भी अशोकनगर, देवास और सीधी जिलों में 3 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
भारी नुकसान झेल रहे मवेशी और मकान
केवल मानव जीवन ही नहीं, बल्कि पशुधन और आवासीय संपत्तियों को भी भारी क्षति पहुंची है। बारिश के चलते अब तक 1,657 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 293 मकान पूरी तरह ढह गए हैं, जबकि 3,687 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। कई जिलों—जैसे ग्वालियर, जबलपुर, मंदसौर, रायसेन, राजगढ़, शहडोल और उमरिया—में दर्जनों मकानों को नुकसान हुआ है। राज्य में करीब 254 सड़कें और पुल भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
सैकड़ों लोग राहत शिविरों में आश्रय लेने को मजबूर
बारिश से बेघर हुए लोगों और खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वालों को सुरक्षित रखने के लिए प्रशासन ने 20 से अधिक राहत शिविर स्थापित किए हैं। मंडला जिले में 3 शिविरों में 230 लोग, गुना में 2 शिविरों में 170 लोग, खरगोन के 8 शिविरों में 1384 लोग और दमोह के 5 शिविरों में करीब 1590 लोग रह रहे हैं। राजगढ़ जिले में भी एक शिविर में 30 लोगों को रखा गया है।