भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। महंगाई दर 2 फीसदी के करीब है, विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और देश का शेयर बाजार वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है। भारत वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। इसके बावजूद, देश के सामने एक गंभीर आर्थिक संकट मंडरा रहा है, जो रुपया कमजोर होने के रूप में सामने आ सकता है।
रुपया गिरावट की ओर
विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 90 तक पहुंच सकती है। यह गिरावट ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं। इसके बावजूद विदेशी निवेशकों की वापसी और अमेरिका के साथ व्यापारिक असमंजस इस दबाव को और बढ़ा रहे हैं।
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को रुपये में 52 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह 87.70 (अनंतिम) पर बंद हुआ। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 87.21 पर खुला और कारोबार के दौरान 87.70 के स्तर तक गिर गया। शुक्रवार को यह 87.18 पर बंद हुआ था।
विदेशी निवेश और ट्रेड डील की अनिश्चितता
मिराए एसेट शेयरखान के अनुज चौधरी के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती की चर्चा डॉलर को कमजोर कर सकती है, जिससे रुपये को कुछ राहत मिल सकती है।
आरबीआई की आगामी मौद्रिक नीति घोषणा से पहले निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। उम्मीद है कि डॉलर-रुपया की हाजिर दर 87.40 से 88 के बीच रह सकती है।
क्या 90 के पार जाएगा रुपया?
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुज गुप्ता का मानना है कि अगर मौजूदा हालात बने रहते हैं, तो रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 90 के पार जा सकती है। उनका कहना है कि विदेशी निवेशक लगातार पूंजी निकाल रहे हैं और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी से अनिश्चितता बनी हुई है। इसके अलावा 25 फीसदी आयात शुल्क भी रुपये पर दबाव बना रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि 6 अगस्त को आरबीआई की मौद्रिक नीति पर आने वाली टिप्पणियों से साफ होगा कि केंद्रीय बैंक रुपये की स्थिरता के लिए क्या कदम उठा रहा है।
कच्चा तेल और डॉलर में नरमी
ब्रेंट क्रूड की कीमतें सोमवार को 1.06 फीसदी गिरकर 68.93 डॉलर प्रति बैरल हो गईं, क्योंकि ओपेक+ ने सितंबर से उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके अलावा अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती और व्यापार शुल्क पर चिंताओं के घटने से भी कीमतों में गिरावट आई है।
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.37 फीसदी गिरकर 98.77 पर पहुंच गया।
अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों का असर
नॉन-फार्म पेरोल डेटा के मुताबिक जुलाई 2025 में अमेरिका में केवल 74,000 नौकरियां जुड़ीं, जबकि अनुमान 1,06,000 का था। जून के आंकड़े भी संशोधित होकर 14,000 रह गए, जो पहले 1,47,000 बताए गए थे। यह अमेरिका की आर्थिक कमजोरी की ओर इशारा करता है।
घरेलू बाजार में उतार-चढ़ाव
सोमवार को बीएसई सेंसेक्स 418.81 अंक बढ़कर 81,018.72 और निफ्टी 157.40 अंक बढ़कर 24,722.75 पर बंद हुआ। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने शुक्रवार को 3,366.40 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी की शुद्ध बिक्री की।