मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी रही भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अदालत में दिए अपने विस्तृत बयान में कहा है कि उन्हें पुलिस कस्टडी के दौरान न सिर्फ शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि मानसिक स्तर पर भी तोड़ने की कोशिशें की गईं।
साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान न सिर्फ उनके आध्यात्मिक जीवन को निशाना बनाया गया, बल्कि उनके गुरु को लेकर भी अपमानजनक टिप्पणियां की गईं। उनके अनुसार, अधिकारियों ने कहा – “तेरे गुरु को घसीटकर यहां लाएंगे, तेरे भगवा कपड़े उतार देंगे, तेरा और तेरे गुरु का नाटक अब खत्म होगा।”
प्रज्ञा सिंह ठाकुर के अनुसार, जांच एजेंसी की कोशिश यही थी कि उनसे यह कहलवाया जाए कि मालेगांव विस्फोट की साजिश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका थी। उन्होंने दावा किया कि एक वरिष्ठ अधिकारी बार-बार पूछते थे – “क्या नरेंद्र मोदी ने पैसे दिए? क्या योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया? तुम उनके साथ कई दिन तक रही हो, बताओ क्या बातें होती थीं?” उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान उन्हें पेट में तेज दर्द, हाथों में सूजन और उंगलियों में सुन्नपन जैसी पीड़ाएं हुईं, जिससे वे न तो हिल पा रही थीं और न ही सोचने की स्थिति में थीं।
साध्वी ने आगे कहा कि उन्हें बेल्ट से बार-बार पीटा गया, नमक मिले गरम पानी में हाथ डलवाए गए और जब वे चुप रहीं तो कपड़े उतारने की धमकी तक दी गई। उनसे हथेलियों से कागज की गेंद बनाने को कहा गया और पीटना जारी रहा।
जांच पर उठे सवाल
इस बयान के बाद सवाल उठते हैं कि क्या जांच प्रक्रिया निष्पक्ष थी या राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित होकर काम किया गया? क्या साध्वी प्रज्ञा को उनकी पहचान – भगवाधारी, संन्यासी और संघ-भाजपा से जुड़ा होने के कारण निशाना बनाया गया?
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जब तत्कालीन गृह मंत्री और कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे से प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो उन्होंने इस विषय पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा – “मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता, नो कमेंट्स।”