ऑपरेशन सिंदूर के बाद वायुसेना-नौसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों का दिया बड़ा ऑर्डर

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। इसी कड़ी में अब भारतीय वायुसेना और नौसेना ब्रह्मोस मिसाइलों की बड़ी संख्या में खरीद की तैयारी कर रही हैं। इस मिसाइल प्रणाली ने पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को भारी क्षति पहुंचाई थी।

रक्षा मंत्रालय जल्द देगा हरी झंडी
एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक जल्द होने जा रही है, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइलों के नए अधिग्रहण को स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। प्रस्तावित खरीद भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और वायुसेना के एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट्स के लिए की जाएगी।

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ज़मीन, समुद्र और वायु—तीनों प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है। यह मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम के सहयोग से विकसित की गई है।

प्रधानमंत्री ने स्वदेशी हथियारों की सराहना की
हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल किए गए भारत में निर्मित हथियारों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस अभियान में विश्व ने ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा प्रणालियों की ताकत को देखा। उन्होंने विशेष रूप से ब्रह्मोस मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी ड्रोन तकनीक की भूमिका को आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बताया।

आतंकी हमले के जवाब में हुआ था ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी। इस वीभत्स हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन टीआरएफ ने ली थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी शिविरों को निशाना बनाया।

इस जवाबी कार्रवाई में ब्रह्मोस मिसाइलों का सटीक उपयोग किया गया, जिससे आतंकियों के ठिकानों को गहरा नुकसान पहुंचा। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस ने उसकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कई एयरबेस पर एक साथ हमले किए।

चार दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद 10 मई को पाकिस्तान ने युद्धविराम की अपील की, जिससे भारत की सैन्य तैयारी और जवाबी कार्रवाई की शक्ति एक बार फिर वैश्विक स्तर पर सिद्ध हुई।

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