कांग्रेस एक परिवार को संविधान से ऊपर मानती है: किरेन रिजिजू

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी पर की गई टिप्पणियों के बाद कांग्रेस द्वारा उनके समर्थन में उतरने पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखा पलटवार किया है। मंगलवार को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का इतिहास न्यायपालिका को चुनौती देने का रहा है और वह देश के कानून और संविधान से ऊपर एक परिवार को मानती है।

रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल दिखावे के लिए संविधान की बात करती है, लेकिन व्यवहार में उस पर विश्वास नहीं करती। उन्होंने कहा, “कांग्रेस बार-बार न्यायपालिका पर सवाल उठाती रही है। यह पहली बार नहीं है। दरअसल, कांग्रेस केवल एक परिवार की सेवा को ही सर्वोपरि मानती है।”

यह बयान उस समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में लंबित एक मामले की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उन पर तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर राहुल गांधी सच में “एक सच्चे भारतीय” होते, तो सेना को लेकर विवादित टिप्पणी नहीं करते। दरअसल, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने दावा किया था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में चीन ने भारत की 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया कि उन्हें ऐसी जानकारी कहां से मिली।

राहुल गांधी के पक्ष में बयान देते हुए उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि किसी व्यक्ति की देशभक्ति तय करना अदालत का काम नहीं है। संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हुए मैं यह कहना चाहती हूं कि यह तय करना न्यायपालिका का दायित्व नहीं है कि कौन सच्चा भारतीय है। विपक्ष का कार्य है कि वह सरकार से सवाल पूछे और जवाबदेही तय करे।”

भाजपा ने इस प्रतिक्रिया पर भी आपत्ति जताई। रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस की ओर से न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाना कोई नई बात नहीं है और पूर्व में भी इस तरह के उदाहरण देखे गए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा हमेशा संविधान और नियमों के तहत काम करती है।

इसके साथ ही रिजिजू ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की एक टिप्पणी को लेकर भी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि खरगे ने संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और देश को भ्रमित करने का प्रयास किया है। गौरतलब है कि खरगे ने संसद में यह सवाल उठाया था कि क्या अब सुरक्षा के लिए बाहरी बलों जैसे सेना या पुलिस को भी सदन के भीतर तैनात किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया था कि संसद में प्रदर्शन कर रहे सांसदों से निपटने के लिए सीआईएसएफ के जवानों का इस्तेमाल किया गया।

इस पर सफाई देते हुए रिजिजू ने कहा कि जो भी कर्मी सदन की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने में लगाया जाता है, वह ‘मार्शल’ की भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मी कहीं न कहीं से बुलाए ही जाते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें तैनात किया जाता है।

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