प्रमुख उद्योगपति अनिल अंबानी मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष दिल्ली स्थित मुख्यालय में उपस्थित हुए। यह पूछताछ 17 हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी और उससे जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में की गई। अंबानी सुबह लगभग 10:50 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे और रात करीब 9 बजे वहां से बाहर निकले। सूत्रों के अनुसार, ईडी अधिकारियों ने उनसे लगभग एक दर्जन सवाल किए और उनके बयान मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दर्ज किए गए।
ईडी को नहीं मिला अंबानी के जवाबों में संतोषजनक आधार
जानकारी के मुताबिक, अंबानी ने किसी भी तरह की वित्तीय गड़बड़ी से इनकार करते हुए यह दावा किया कि उनकी कंपनियों ने समय पर सभी नियामकों को अपनी वित्तीय स्थिति से अवगत कराया था। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसी उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं है और भविष्य में उन्हें फिर से बुलाया जा सकता है।
यह पूछताछ ऐसे समय हुई जब ईडी ने हाल ही में मुंबई में अंबानी समूह से जुड़ी करीब 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के 35 परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया था। इसके बाद 24 जुलाई को अनिल अंबानी को समन जारी किया गया था।
यस बैंक से लिए गए ऋण और विदेशी खातों की भी जांच
यह मामला रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अनिल अंबानी की कई कंपनियों द्वारा कथित रूप से की गई वित्तीय अनियमितताओं और ऋण के दुरुपयोग से जुड़ा है। प्रमुख आरोप यह है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये के ऋण को अनुचित तरीके से अन्यत्र डायवर्ट किया गया। ईडी को संदेह है कि ऋण जारी होने से पहले ही संबंधित कंपनियों में धन का प्रवाह हुआ था, जिससे रिश्वत और ऋण के लेनदेन के बीच गठजोड़ की आशंका जताई जा रही है।
एजेंसी कुछ अघोषित विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों की भी जांच कर रही है। इसके साथ ही रिलायंस कम्युनिकेशंस और केनरा बैंक के बीच हुए लगभग 1,050 करोड़ रुपये के ऋण विवाद और रिलायंस म्यूचुअल फंड द्वारा AT-1 बॉन्ड में किए गए 2,850 करोड़ रुपये के निवेश की भी पड़ताल की जा रही है, जिसमें ‘क्विड प्रो क्वो’ यानी बदले में लाभ पहुंचाने का संकेत एजेंसी को मिला है।
रिलायंस समूह ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन 10,000 करोड़ रुपये की कथित रूप से गुमशुदा राशि का उल्लेख किया जा रहा है, वह मामला एक दशक पुराना है। समूह ने पहले ही सार्वजनिक रूप से यह जानकारी दी है कि उस पर कुल देनदारी लगभग 6,500 करोड़ रुपये की है। इसके अलावा, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 9 फरवरी, 2025 को इस मामले की जानकारी सार्वजनिक की थी।
अनिल अंबानी पर लगा है विदेश यात्रा पर प्रतिबंध
ईडी ने इससे पहले अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया था, जिससे वह बिना अदालत की पूर्व अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकते। यह कदम तब उठाया गया जब उन्हें दिल्ली स्थित एजेंसी कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। जांच मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत संभावित उल्लंघनों और वित्तीय अनियमितताओं के संदर्भ में चल रही है।
तीन दिन तक चली छापेमारी कार्रवाई
बीते सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय ने अंबानी समूह से जुड़ी कई कंपनियों और उनके अधिकारियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर छापेमारी की थी। यह अभियान 24 जुलाई को शुरू हुआ और तीन दिन तक चला। इसमें कुल 35 परिसरों की तलाशी ली गई, जो 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से संबंधित बताए जाते हैं।