भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मुंबई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीसरी द्विमासिक समीक्षा पेश करते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर स्थिर बनाए रखने और मौद्रिक रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखने का फैसला किया है।
गवर्नर ने स्पष्ट किया कि ब्याज दरें देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति और घरेलू क्षमताओं को ध्यान में रखकर निर्धारित की गई हैं। चूंकि रेपो रेट में कोई कटौती नहीं हुई, ऐसे में इससे जुड़ी ऋणों की ईएमआई में तत्काल कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
विकास दर और महंगाई के अनुमान में संशोधन
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि महंगाई दर के पूर्वानुमान में कटौती करते हुए इसे 3.7 फीसदी से घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया गया है।
गौरतलब है कि इस वर्ष फरवरी से जून तक की नीति बैठकों में आरबीआई ने रेपो दर में कुल 100 आधार अंकों की कटौती की थी—फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंक, जबकि जून में 50 आधार अंकों की। फिलहाल रेपो दर 5.5 प्रतिशत बनी हुई है।
खुदरा महंगाई और खाद्य कीमतों में गिरावट
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा महंगाई (सीपीआई आधारित) लगातार 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है। जून में यह घटकर 2.1 प्रतिशत के स्तर पर आ गई, जो बीते छह वर्षों का न्यूनतम स्तर है। इसका प्रमुख कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है।
जून में खाद्य मुद्रास्फीति (-)1.06 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 0.99 प्रतिशत थी। इस गिरावट में सब्ज़ियों, दालों, मांस-मछली, अनाज, दूध और मसालों जैसी प्रमुख वस्तुओं का योगदान रहा।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना
मौद्रिक नीति समिति में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अलावा डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और तीन बाहरी सदस्य—नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और राम सिंह शामिल हैं। यह समिति हर दो महीने में बैठक कर नीतिगत दरों और मौद्रिक दिशा तय करती है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर गवर्नर की राय
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि बदलते वैश्विक हालात के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यावधि संभावनाएं सकारात्मक हैं। उन्होंने बताया कि मानसून सामान्य रहने और आगामी त्योहारी सीजन से मांग में सुधार की उम्मीद है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और आरबीआई की समन्वित नीतियां वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही हैं।
क्यों महत्वपूर्ण थी अगस्त की एमपीसी बैठक?
4 अगस्त से शुरू हुई मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक केवल रेपो रेट की समीक्षा ही नहीं, बल्कि आगामी महीनों में नीतिगत रुख तय करने के लिए भी अहम मानी जा रही थी। इसमें लिए गए फैसले आने वाले समय में ब्याज दरों और आर्थिक नीति की दिशा निर्धारित करेंगे।