जम्मू-कश्मीर के बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद, जो फिलहाल टेरर फंडिंग मामले में जेल में हैं, ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि भारी यात्रा खर्च के कारण वे संसद में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहे हैं। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इस संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने की। याचिका में इंजीनियर राशिद ने उन आदेशों को चुनौती दी है, जिनमें उन्हें संसद सत्र में भाग लेने के लिए अपने खर्चे पर यात्रा करने की शर्त लगाई गई है।
कोर्ट ने पैरोल से जुड़े खर्च को लेकर दी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आमतौर पर हिरासत में रहते हुए मिलने वाली पैरोल पर होने वाला खर्च संबंधित व्यक्ति को स्वयं वहन करना होता है। इंजीनियर राशिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन ने तर्क दिया कि यह शर्त अनुचित और अन्यायपूर्ण है, क्योंकि राशिद एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं और उनके कर्तव्यों का निर्वहन बाधित हो रहा है।
हरिहरन ने कहा कि जब सांसद के तौर पर शपथ ली गई, तब सरकार ने कोई यात्रा खर्च नहीं मांगा था, लेकिन अब संसद सत्र में भाग लेने के लिए अत्यधिक राशि मांगी जा रही है, जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्र की आवाज संसद में नहीं पहुंच पा रही है।
अब 12 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की है। उस दिन वकील हरिहरन इस मुद्दे पर दलील देंगे कि क्या सुरेश कलमाड़ी मामले के निर्णय के संदर्भ में इंजीनियर राशिद को संसद में उपस्थित रहने का वैधानिक अधिकार दिया जा सकता है। साथ ही यह भी तर्क प्रस्तुत किया जाएगा कि क्या याचिका पर संशोधन या पुनर्विचार किया जा सकता है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने इंजीनियर राशिद को 24 जुलाई से 4 अगस्त तक संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ ही उन्हें प्रतिदिन डेढ़ लाख रुपये यात्रा व सुरक्षा खर्च वहन करने की शर्त दी गई थी। इसी आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।