नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा के बाद भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और अन्यायपूर्ण है।
बयान में कहा गया कि भारत द्वारा रूस से तेल आयात पूरी तरह बाजार आधारित है और यह देश की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है। ऐसे में अमेरिका का इस आयात को निशाना बनाकर अतिरिक्त शुल्क लगाना समझ से परे है, जबकि कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इसी प्रकार का निर्णय लेते हैं।
राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाए जाएंगे कदम
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। बयान में कहा गया, “हम पहले ही इन मुद्दों पर अपनी स्थिति अमेरिका को स्पष्ट कर चुके हैं, इसके बावजूद टैरिफ बढ़ाना अमेरिका की एकतरफा कार्रवाई है।”
राजनीतिक हलकों में घमासान, विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस टैरिफ को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “सरकार के किसी भी मंत्री की ओर से इस मसले पर कोई जवाब क्यों नहीं आया? क्या भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापारिक समझौता है या नहीं?”
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस फैसले से भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा, “50 प्रतिशत शुल्क के चलते भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, जिससे वहां के उपभोक्ताओं का रुझान अन्य सस्ते बाजारों की ओर हो सकता है।”
“नई रणनीति जरूरी”: शशि थरूर
थरूर ने सुझाव दिया कि भारत को अपने निर्यात को नए बाजारों की ओर मोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे पास ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता है और यूरोपीय संघ के साथ वार्ता जारी है। हमें ऐसे बाजारों की ओर रुख करना चाहिए जहां हमारे उत्पादों की मांग हो और टैरिफ का बोझ कम हो। फिलहाल यह फैसला निश्चित रूप से हमारे लिए एक झटका है।”