देहरादून। उत्तरकाशी जिले में हर्षिल और धराली के बीच भागीरथी नदी पर बनी करीब 1300 मीटर लंबी और 80 मीटर चौड़ी झील से धीरे-धीरे पानी का रिसाव हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल स्थिति चिंताजनक नहीं है, लेकिन एहतियातन झील को नियंत्रित तरीके से तोड़ने की योजना तैयार कर ली गई है। आगामी तीन दिनों में चार पोकलैंड मशीनों की मदद से झील का किनारा धीरे-धीरे काटा जाएगा ताकि पानी का बहाव नियंत्रित रहे। यदि झील के बीच में कोई बड़ा बोल्डर अवरोध बनता है तो उसे हटाने के लिए नियंत्रित विस्फोट (कंट्रोल ब्लास्ट) की व्यवस्था भी की जाएगी।
बुधवार को सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता सुभाष पांडेय ने स्थल का हवाई निरीक्षण कर पूरी स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि हालिया अतिवृष्टि के चलते भागीरथी नदी उफान पर है और इसी कारण मलबा जमा होने से नदी के प्रवाह में बाधा आ गई, जिससे झील का निर्माण हुआ। इस अस्थायी झील के चलते क्षेत्र में संभावित खतरे की आशंका बनी हुई है, इसलिए हर्षिल और आसपास के इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। राहत की बात यह है कि फिलहाल झील से पानी का ओवरफ्लो जारी है, जिससे दबाव कम हो रहा है।
मुख्य अभियंता के नेतृत्व में 12 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम देहरादून से रवाना होकर हवाई मार्ग से घटनास्थल पर पहुंची। निरीक्षण के बाद पांडेय ने बताया कि झील हर्षिल से थोड़ा आगे अपस्ट्रीम की ओर बनी है और इसका निर्माण संभवतः भारी मात्रा में आए मलबे के जमा होने से हुआ है।
उन्होंने बताया कि भटवाड़ी के आगे करीब 60 मीटर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है और एक पुल भी बह गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सड़क की मरम्मत में जुटा है और वैकल्पिक रूप से बेली ब्रिज भी तैयार किया जा रहा है। बीआरओ ने अगले तीन दिन में आवाजाही बहाल करने का भरोसा जताया है।
देहरादून से मंगाई गईं चार पोकलैंड मशीनें तीन दिन के भीतर स्थल पर पहुंच जाएंगी, जिनसे झील की सतह को नियंत्रित तरीके से काटने का कार्य शुरू होगा। यदि इस प्रक्रिया में बड़े बोल्डर बाधा बनते हैं, तो कंट्रोल ब्लास्ट की तकनीक अपनाई जाएगी।
बोल्डर हटाने को किया जाएगा नियंत्रित विस्फोट
पांडेय ने जानकारी दी कि यदि जरूरत पड़ी तो बोल्डरों में ड्रिल कर विस्फोटक भरा जाएगा और फिर रिमोट से ब्लास्ट किया जाएगा। यह प्रक्रिया नियंत्रित ढंग से की जाती है ताकि केवल निर्धारित भाग ही हटे। उन्होंने बताया कि इस कार्य को अंजाम देने के लिए सिलक्यारा टनल प्रोजेक्ट से जुड़े भूवैज्ञानिक डॉ. नीरज जोशी से भी चर्चा की गई है और आवश्यकता पड़ने पर यह कार्य उनकी निगरानी में किया जाएगा।