वाराणसी में बाढ़ का असर जारी, गंगा में गिरावट शुरू; घाट अभी भी डूबे

वाराणसी में बुधवार को गंगा के जलस्तर में कमी आई, जिससे सड़कों और गलियों से पानी धीरे-धीरे पीछे हटने लगा है और जलधारा घाटों की सीढ़ियों तक सिमट रही है। विश्वनाथ मंदिर का गंगा द्वार अब गंगा से 12 सीढ़ियां ऊपर दिखाई दे रहा है, हालांकि ललिता घाट और उसकी दीवारें अब भी पानी में डूबी हुई हैं।

तीसरे दिन भी बंद रहा नमो घाट, शवों का जल संस्कार छतों पर

नमो घाट लगातार तीसरे दिन आमजन के लिए बंद रहा। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक जारी रही। राजघाट की सड़क से पानी हटने के बाद अब वह केवल घाट की सीढ़ियों तक सीमित हो गया है। घाटों पर स्थित मंदिरों के शिखर अब नजर आने लगे हैं। मणिकर्णिका घाट की ओर से बहकर आया पानी अब आश्रम की गली में प्रवेश करने से पहले ही थम गया है। शवों को नाव के जरिए छतों तक ले जाया जा रहा है, जहां सीमित संख्या में अंत्येष्टि हो रही है—एक बार में केवल 7-8 शवों का दाह संस्कार हो पा रहा है।

सामनेघाट में पानी की वापसी शुरू, पर आवागमन अब भी बाधित

दशाश्वमेध और शीतला घाट के बाहर सड़कों पर अभी भी पानी जमा है, जहां कुछ लोग वहीं स्नान कर रहे हैं। अस्सी घाट की ओर से बाजार में घुसा पानी अब जगन्नाथ मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंच चुका है। वहीं सामनेघाट की महेश नगर कॉलोनी सहित कई क्षेत्रों से पानी धीरे-धीरे लौटने लगा है। हालांकि, अब भी लगभग 200 मीटर लंबी सड़क पर 3-4 फीट तक पानी भरा है, जिससे स्थानीय निवासियों को आवागमन में परेशानी हो रही है।

राहत सामग्री न मिलने पर फूटा लोगों का गुस्सा

नगवा गंगोत्री विहार क्षेत्र में राहत सामग्री न मिलने से नाराज लोगों ने बुधवार देर शाम विरोध प्रदर्शन किया। बाढ़ पीड़ितों का कहना था कि उन्हें सरकार की ओर से जरूरी खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही, जिससे उन्हें खुद खरीदकर गुजारा करना पड़ रहा है। नगवा वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि डॉ. रविंद्र सिंह ने बताया कि गंगोत्री विहार की संकरी गलियों में नावों का पहुंचना संभव नहीं हो पाया, इसी कारण वहां राहत सामग्री नहीं पहुंच सकी।

प्रसव पीड़ित महिला को चारपाई पर लादकर पहुंचाया गया अस्पताल

बाढ़ग्रस्त गोबरहा गांव में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला को ग्रामीणों ने चारपाई पर उठाकर पानी से बाहर निकाला और चिरईगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। इसी गांव में एक युवक को सांप ने डंस लिया, जिसे लोगों ने कंधे पर उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया और फिर अस्पताल में इलाज शुरू हुआ। चौबेपुर के पिपरी गांव में लोग छह जनरेटर के सहारे रातें गुजारने को मजबूर हैं। बेला-धौरहरा और बेला-बर्थरा खुर्द मार्ग पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं।

अब भी डूबे हैं कई गांव, प्रशासन ने बढ़ाई नावों की संख्या

चिरईगांव के ढाब क्षेत्र के रामचंदीपुर, मोकलपुर, गोबरहा, रामपुर, रेतापार, मुस्तफाबाद, चांदपुर, छितौना, लूठा और शिवदशा गांव पूरी तरह से पानी में डूबे हैं, जिससे मुख्य मार्गों से संपर्क टूट गया है। एडीएम (वित्त) ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत सामग्री, चारा और भूसा वितरण का कार्य राजस्व टीम की निगरानी में जारी है। क्षेत्रीय नायब तहसीलदार सुरेखा वर्मा ने जानकारी दी कि प्रशासन ने अब तक कुल 37 नावें तैनात की हैं।

जलस्तर घटते ही बिजली आपूर्ति बहाल करने में जुटा विभाग

जिले के 13 विद्युत उपकेंद्र बाढ़ के चलते प्रभावित हुए थे, जहां मंगलवार को सुरक्षा की दृष्टि से बिजली सप्लाई रोकी गई थी। बुधवार को जैसे-जैसे जलस्तर कम हुआ, रमना और शूलटंकेश्वर फीडर से जुड़े क्षेत्रों में आपूर्ति बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। विद्युत विभाग के मुख्य अभियंता राकेश पांडेय ने बताया कि जलस्तर घटने के साथ ही सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए चरणबद्ध तरीके से आपूर्ति बहाल की जा रही है।

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