मुंबई के दादर स्थित कबूतरखाना बंद करने के निर्णय पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है। अदालत ने साफ किया है कि नागरिकों की सेहत को देखते हुए यह फैसला उचित है और इस मुद्दे पर डॉक्टरों की एक समिति गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। तब तक कबूतरों को दाना डालने पर रोक लागू रहेगी।
दरअसल, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर को ध्यान में रखते हुए यह कबूतरखाना बंद कर दिया था। इसके बाद वहां कबूतरों को दाना डालने पर भी रोक लगा दी गई थी। इस फैसले के विरोध में जैन समाज ने तीव्र प्रतिक्रिया जताई और मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
कोर्ट ने क्या कहा?
फैसले के दौरान हाईकोर्ट ने दोहराया कि नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। अदालत ने चेतावनी दी कि उसके आदेश का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए और यदि किसी को आदेश पर आपत्ति है, तो वह कानूनी तरीके से अपील कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट जाना एक विकल्प
कोर्ट द्वारा प्रतिबंध को यथावत रखने के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि याचिकाकर्ता इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। फिलहाल, हाईकोर्ट के आदेश से कबूतरखाना बंद रहेगा।
क्या है विवाद की पृष्ठभूमि?
मुंबई में कबूतरखानों को लेकर यह विवाद हाल ही में तब गहरा गया, जब बीएमसी ने इन पर रोक लगाई। आरोप लगाया गया कि कबूतरों की बीट और पंखों से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है, और इससे सार्वजनिक स्थानों पर कब्जे जैसी स्थिति भी बन रही है। जैन समुदाय ने इसे धार्मिक भावना से जुड़ा मुद्दा बताया और 4 अगस्त को इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया।
अब जबकि अदालत ने रोक को बरकरार रखा है, आगे की कानूनी रणनीति पर सबकी निगाहें टिकी हैं।