देश में ‘वोट चोरी’ के मुद्दे ने राजनीतिक हलकों में गर्माहट बढ़ा दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस विषय पर दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में गंभीर आरोप लगाते हुए तकरीबन 1 घंटे 11 मिनट तक 22 पन्नों की एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने दावा किया कि यह रिपोर्ट करीब छह महीनों के शोध और दस्तावेजी विश्लेषण के बाद तैयार की गई है, जिसमें सात फीट तक ऊंचे दस्तावेजों का अध्ययन शामिल था।
राहुल गांधी ने मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में चुनावी गड़बड़ियों को रेखांकित करते हुए पांच बड़े आरोप सामने रखे। इनमें डुप्लीकेट वोटर्स, मतदाताओं के फर्जी या अमान्य पते, एक ही पते पर बड़ी संख्या में मतदाता पंजीकरण, मतदाताओं की गलत तस्वीरें और फॉर्म-6 के कथित दुरुपयोग जैसे बिंदु शामिल हैं।
उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में एक ही व्यक्ति का नाम कई अलग-अलग मतदान केंद्रों की सूची में पाया गया है। इसके अलावा, कई मतदाता सूचियों में तस्वीरों की कमी, गलत या नकली पते और फर्जी नाम दर्ज होने की बात भी उन्होंने उठाई। महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वहां करीब 40 लाख फर्जी नाम मतदाता सूची में थे। हरियाणा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां कांग्रेस की हार के पीछे भी वोटर लिस्ट में हुई अनियमितताएं जिम्मेदार हैं।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर यह भी आरोप लगाया कि आयोग मतदाता डेटा को सार्वजनिक नहीं करता, जिससे चुनावी पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी वजह से “वोट चोरी” की घटनाएं संभव हो पाती हैं।
इन आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने इन दावों को “बिना आधार और भ्रामक” बताते हुए राहुल गांधी से हलफनामे के रूप में साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी राहुल गांधी से अनुरोध किया कि वे जनता को गुमराह न करें।
इस मुद्दे पर राजनीतिक टकराव भी तेज हो गया है। राहुल गांधी ने न केवल चुनाव आयोग बल्कि भारतीय जनता पार्टी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और बीजेपी के बीच मिलीभगत से लोकतांत्रिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ हो रही है। इसके जवाब में बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी की ये प्रतिक्रियाएं जनता के समर्थन की कमी से उपजा ‘हताशा का परिणाम’ हैं।