नई दिल्ली में आयोजित इंडियन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ICEMA) के वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि केंद्र सरकार जल्द ही निर्माण उपकरण उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए नया कानून पेश करेगी। इसका उद्देश्य चीन जैसे देशों से होने वाले आयात पर निर्भरता घटाना और घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। गडकरी ने बताया कि इस सेक्टर के लिए मानक और नियम तय किए जाएंगे तथा संबंधित नीतियां बनाई जाएंगी। यह विधेयक संसद के अगले सत्र में पेश किया जा सकता है।
9 अरब डॉलर का उद्योग
मंजूरी मिलने के बाद इस सेक्टर की मौजूदा कई चुनौतियां कम हो जाएंगी। भारत का निर्माण उपकरण उद्योग लगभग 9 अरब डॉलर का है, लेकिन हाल के समय में इसे चीन से आने वाले कम कीमत वाले उपकरणों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुदाई मशीनों (Excavators) जैसी कुछ श्रेणियों में चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 25% तक पहुंच गई है। टाटा हिटाची जैसी घरेलू कंपनियां भी इस पर चिंता व्यक्त कर चुकी हैं।
आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
गडकरी ने बताया कि सरकार फ्लेक्स इंजन को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को 10% एडवांस देने और वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले उपकरण खरीदने वालों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की योजना पर विचार कर रही है।
पिछले वर्ष इस उद्योग में सुस्ती देखी गई थी, जिसका एक कारण भारतमाला परियोजना का रद्द होना भी रहा। हालांकि मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस वर्ष स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने बताया कि अब तक 2 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट आवंटित किए जा चुके हैं और वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है। सरकार का उद्देश्य हर साल 10 लाख करोड़ रुपये के सड़क परियोजनाएं शुरू करना है।
बिक्री के आंकड़े और लक्ष्य
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार, अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच निर्माण उपकरण की खुदरा बिक्री 24,568 यूनिट रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 24,240 यूनिट से थोड़ी अधिक है। गडकरी ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि सड़क ढांचे में सुधार से देश की लॉजिस्टिक लागत 16% से घट गई है और दिसंबर तक इसे 9% तक लाने का लक्ष्य है।