केंद्र सरकार ने लोकसभा से आयकर विधेयक 2025 को वापस ले लिया है। यह निर्णय प्रवर समिति की जांच और रिपोर्ट के बाद लिया गया है। यह विधेयक फरवरी 2025 में लोकसभा में पेश किया गया था। अब इसका संशोधित संस्करण 11 अगस्त को फिर से संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में गठित 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने विधेयक की समीक्षा करते हुए 285 सुझाव दिए थे। सरकार ने अधिकांश सुझावों को स्वीकार किया है और कुछ आवश्यक संशोधनों के साथ विधेयक को पुनः प्रस्तुत किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विधेयक वापसी की घोषणा करते हुए कहा कि समिति की सिफारिशें शामिल कर नया विधेयक लाया जाएगा।
प्रवर समिति ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के गुमनाम दान पर कर लगाने के प्रस्ताव में अस्पष्टता दूर करने और धार्मिक व परमार्थ ट्रस्टों को उचित छूट देने की मांग की है। समिति ने मौजूदा आयकर अधिनियम के तहत लागू छूट के अनुरूप प्रावधान दोहराने का सुझाव दिया है ताकि एनपीओ क्षेत्र को प्रभावित न किया जाए।
विधेयक में आयकर अधिनियम, 1961 के तुलना में शब्दों की संख्या लगभग आधी कर दी गई है और प्रावधानों की संख्या भी घटाई गई है। इसमें कर वर्ष की अवधारणा को सरल बनाकर करदाताओं के लिए प्रक्रिया आसान करने का प्रयास किया गया है।
सरकार मानसून सत्र में अन्य विधेयकों के साथ इस संशोधित आयकर विधेयक को भी संसद में पेश करने की योजना बना रही है।