केंद्र सरकार आगामी 11 अगस्त 2025 को संसद में न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश करने जा रही है। इस विधेयक को लेकर पहले से ही काफी चर्चा हो रही है। बिल की समीक्षा कर रही सेलेक्ट कमेटी ने इसमें कई सुधार संबंधी सुझाव दिए हैं। समिति की रिपोर्ट 21 जुलाई को लोकसभा में पेश हुई, जिसमें परिभाषाओं को स्पष्ट करने, अस्पष्टताओं को दूर करने और इसे मौजूदा कर प्रणाली के अनुरूप बनाने पर जोर दिया गया।
लंबी चर्चा के बाद समिति ने कुल 285 प्रमुख सिफारिशें दीं, जिनका उद्देश्य कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाना है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्टेकहोल्डर्स की राय के आधार पर बिल में ऐसे बदलाव किए जाएं, जिससे यह ज्यादा स्पष्ट और लागू करने में आसान हो सके। कुल मिलाकर 4,584 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में 566 सुझाव शामिल हैं।
महत्वपूर्ण सिफारिशों में शामिल हैं—
- आयकर रिफंड से जुड़ा वह प्रावधान हटाना, जिसमें देरी से आईटीआर दाखिल करने पर रिफंड रोकने की बात थी।
- धारा 80एम (नए बिल के क्लॉज 148) में संशोधन, ताकि विशेष कर दर वाली कंपनियों को इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर छूट मिल सके।
- करदाताओं को जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट लेने की अनुमति देना।
- स्पष्ट किया गया कि कर दरों में कोई बदलाव की अनुशंसा नहीं की गई है, जबकि पहले मीडिया में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स दर में बदलाव की अटकलें थीं।
- माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की परिभाषा को MSME अधिनियम के अनुरूप करना।
- अग्रिम निर्णय शुल्क, भविष्य निधि पर टीडीएस, लोअर टैक्स सर्टिफिकेट और पेनल्टी पावर में स्पष्टता लाने के लिए भी संशोधन की अनुशंसा।
समिति का मानना है कि इन बदलावों से कर प्रणाली अधिक पारदर्शी, सरल और व्यावहारिक होगी।