यूपी में पकड़ा गया फर्जी ‘इंटरनेशनल पुलिस’ गिरोह, विदेशी सहायता का झूठा दावा करके करते थे ठगी

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पिछले महीने एक अवैध दूतावास के मामले में नटवरलाल की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस ने एक और बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने नोएडा में चल रहे एक नकली ‘अंतरराष्ट्रीय पुलिस’ कार्यालय का खुलासा किया है और इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

फर्जी पुलिस दफ्तर का खुलासा

यह मामला नोएडा के सेक्टर-70 का है, जहां पुलिस ने रविवार (10 अगस्त) को छापेमारी कर एक किराए के मकान से नकली पुलिस कार्यालय चलाने वालों को पकड़ा। इस घर पर ‘इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो’ का बोर्ड लगा था, जो देखने में किसी सरकारी पुलिस विभाग जैसा प्रतीत होता था। जांच में पता चला कि इस नाम से न तो भारत में वैध कोई पुलिस बल है और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इसे मान्यता दी है।

गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी

पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सभी पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। इनमें चार व्यक्ति बीरभूम जिले के हैं—विभाष चंद्र अधिकारी (27), अराग्य अधिकारी (26), पिंटू पाल और समापदमल (25)। वहीं, बाबुल चंद्र मंडल (27) 24 परगना जिले और आशीष कुमार कोलकाता से हैं। पुलिस के अनुसार, विभाष आर्ट्स में स्नातक हैं, अराग्य कानून की पढ़ाई कर चुके हैं, जबकि बाकी चार आरोपी 12वीं पास हैं।

फर्जीवाड़ा कैसे चल रहा था?

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने 4 जून को सेक्टर-70 में मकान किराए पर लिया था और जल्द ही इसके बाहर कई पोस्टर और संकेतक लगा दिए थे, जिनमें केंद्रीय बलों के प्रतीक चिन्ह भी शामिल थे, ताकि लोगों को लगे कि यह कोई आधिकारिक पुलिस विभाग है।

यह गिरोह खुद को इंटरपोल, यूरेशियन पुलिस और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (आईएचआरसी) से जुड़े होने का दावा करता था। वे आम लोगों को इस तरह भ्रमित करते थे कि वे अंतरराष्ट्रीय अपराध और अपराधियों से निपटने वाले अधिकारी हैं। यह संगठन खुद को एक समानांतर पुलिस विभाग के रूप में प्रस्तुत करता था, जो आधिकारिक कार्य करता हो। पुलिस के अनुसार यह फर्जीवाड़ा पिछले दो महीनों से चल रहा था।

धोखाधड़ी के तरीके

अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह विदेशों में फंसे लोगों को भारत वापस लाने, वीजा दिलाने और जमीन के कब्जे छुड़ाने का झांसा देकर लोगों से रकम वसूलता था। आरोपियों ने खुद को नौकरशाह बताते हुए कई तरह की कानूनी सेवाएं देने का भ्रम फैलाया। इनके पास एक वेबसाइट www.intlpcrib.in भी थी, जिसके माध्यम से वे दान इकठ्ठा करने का दावा करते थे। इस साइट पर विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के नकली प्रमाणपत्र लगाकर लोगों को भरोसा दिलाया जाता था।

इनके पास नकली आईडी कार्ड, वर्दियां, और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की मोहरें भी थीं, जिनके ज़रिए ये पीड़ितों से ठगी करते थे।

कैसे हुआ खुलासा?

नोएडा पुलिस के डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने इस गिरोह की सक्रियता का पता लगाया। जांच के दौरान सेक्टर-70 में छापेमारी की गई, जहां से फर्जी मोहरें, आईडी कार्ड, विभिन्न मंत्रालयों के नकली प्रमाणपत्र, चेकबुक, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, नकदी और अन्य दस्तावेज बरामद हुए।

आरोपियों ने आयुष मंत्रालय, जनजातीय मामलों और सामाजिक न्याय मंत्रालय के प्रमाणपत्र दिखाए, लेकिन उनकी प्रामाणिकता साबित नहीं हो सकी।

फर्जीवाड़ा कहां तक फैला?

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका कार्यालय ब्रिटेन में भी था। पुलिस जांच कर रही है कि इससे पहले उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही फर्जी ऑफिस चलाया था। संदिग्ध गतिविधियों को लेकर अन्य एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। पुलिस इस गिरोह के चार बैंक खातों की जांच कर रही है, जिन्हें हवाला नेटवर्क के रूप में इस्तेमाल किए जाने का संदेह है।

इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, आईटी अधिनियम और प्रतीक एवं नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 के तहत मामला दर्ज किया है।

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