उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के नियमों में बदलाव किया जाएगा। इस संबंध में योगी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है और मानसून सत्र में इसके लिए विधेयक पेश करने वाली है। इस कदम का मकसद यूपीपीएससी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं को रोकना है। नए नियमों के तहत पेपर लीक होने की स्थिति में प्रिंटर की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
यूपीपीएससी नियमों में संशोधन का उद्देश्य
सरकार यूपीपीएससी भर्ती प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए लोक सेवा आयोग प्रक्रिया विनियमन संशोधन विधेयक, 2025 विधानसभा में पेश करेगी। इससे पहले 22 जुलाई को कैबिनेट ने इन नियमों में संशोधन को मंजूरी दी थी।
कौन से नियम होंगे संशोधित?
संशोधन यूपीपीएससी अधिनियम, 1985 की धारा 10 की उपधारा 1, 3, 4 और 5 में किए जाएंगे। इन बदलावों के तहत भर्ती परीक्षा के पेपर बनाने, उनकी गोपनीयता बनाए रखने और पेपर लीक की स्थिति में जिम्मेदारी तय करने के प्रावधान शामिल हैं।
पेपर तैयार करने की नई व्यवस्था
अब यूपीपीएससी परीक्षा के पेपर चार अलग-अलग सेट में तैयार किए जाएंगे, जबकि पहले तीन सेट बनाए जाते थे। प्रत्येक सेट अलग-अलग विशेषज्ञों द्वारा तैयार कराया जाएगा, ताकि पेपर लीक की संभावना कम हो।
पेपर लीक पर प्रिंटर की जवाबदेही
संशोधित नियमों के अनुसार, पेपर लीक या अन्य किसी अनियमितता की स्थिति में प्रिंटर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके लिए अधिनियम की धारा 10 की उपधारा 5 में संशोधन किया जाएगा।
गोपनीयता और सुरक्षा के उपाय
चारों पेपर सेटों को रसीद के साथ सीलबंद लिफाफों में आयोग को सौंपा जाएगा। आयोग की जांच के बाद बिना किसी पहचान चिन्ह के ये लिफाफे परीक्षा नियंत्रक को दिए जाएंगे। परीक्षा नियंत्रक इनमें से एक सीलबंद सेट चुनकर प्रिंटर को देगा। प्रिंटर से प्रिंटेड पेपर को रंग और गोपनीय कोड के साथ सीलबंद पैकेट में परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे परीक्षा की गोपनीयता सुनिश्चित हो सके।