सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग को 18 हजार वोट काटे जाने के संबंध में शपथपत्र सौंपा था और उपचुनाव में हुई वोटों की हेरफेर की जानकारी भी दी गई थी। अब वह चुनाव आयोग से पूछना चाहते हैं कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है। उन्होंने गड़बड़ी में शामिल सभी जिला अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की है।
अखिलेश ने कहा कि चुनाव से जुड़ी शिकायतों पर समयबद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना था कि यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं, पहले भी कई बार इसकी कार्यप्रणाली पर आलोचना हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में सरकार ने अधिकारियों की मदद से वोटों की चोरी कराई।
साथ ही अखिलेश यादव ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को उम्मीद जताई कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे, जो वोट चोरी और अन्य गड़बड़ियों में शामिल थे। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा जनता से वोट देने का अधिकार छीनना चाहती है ताकि लोग भाजपा के खिलाफ वोट न दे सकें।
वहीं, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव को राजतंत्र के प्रतीक बताते हुए कहा कि सत्ता से दूर रहने के कारण उनकी बेचैनी बढ़ गई है, जो 2047 तक बनी रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों नेताओं पर जनता का भरोसा नहीं है क्योंकि वे लंबे समय तक अपने राजशाही अंदाज में सत्ता का आनंद लेते रहे हैं। जब जनता ने लोकतंत्र के प्रतीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया, तब से ही ये दोनों लोकतंत्र के खिलाफ खड़े हो गए हैं।