वित्त मंत्री ने पेश किया आईबीसी संशोधन विधेयक 2025, दिवाला मामलों में सुधार के प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। इसका उद्देश्य दिवाला समाधान प्रक्रिया को तेज करना और प्रशासनिक प्रभावशीलता बढ़ाना है। यह बिल 2016 की दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधार लाने का प्रयास करता है और इसे व्यापक समीक्षा के लिए प्रवर समिति को भेजा गया था।

विधेयक में नए प्रावधानों के तहत लेनदार-आरंभिक दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIIRP) जैसी नई अवधारणाओं को शामिल किया गया है, जिससे समाधान और परिसमापन दोनों चरणों में प्रक्रियाएं आसान बनें। मौजूदा कानून के तहत कॉरपोरेट दिवाला समाधान (CIRP) के लिए आवेदन 14 दिन में स्वीकार किए जाने चाहिए, लेकिन व्यवहार में यह औसतन 434 दिन तक खिंच जाता है। नए विधेयक में CIRP को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई सुधार प्रस्तावित हैं। इनमें परिसंपत्ति बिक्री की अनुमति के लिए समाधान योजनाओं की परिभाषा में बदलाव, कॉरपोरेट आवेदक की भूमिका सीमित करना, सरकारी बकाया की प्राथमिकता स्पष्ट करना और CIRP आवेदनों की वापसी पर नियंत्रण शामिल है।

संशोधनों के तहत एक निगरानी समिति बनाई जाएगी और लेनदारों को कार्रवाई शुरू करने का अधिकार मिलेगा। लेनदारों की समिति (CoC) को परिसमापन की निगरानी और आवश्यकता पड़ने पर दो-तिहाई मत से परिसमापकों को बदलने का अधिकार भी दिया गया है।

प्रक्रिया को और तेज करने के लिए CIIRP के तहत वित्तीय संस्थानों को चुना जा सकेगा और समाधान पेशेवर की देखरेख में अदालत के बाहर दिवाला प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। देनदार पेशेवर पर्यवेक्षण में रहते हुए प्रबंधन नियंत्रण भी बनाए रख सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here