हिमाचल में मानसून का कहर: भूस्खलन से सैकड़ों सड़कें बंद, मयाड़ घाटी में बाढ़

हिमाचल प्रदेश में मानसून की लगातार झड़ी ने कहर मचाया है। जगह-जगह भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से सैकड़ों सड़कें बंद हैं। लाहौल-स्पीति की मयाड़ घाटी के करपट, चंगुट, उरगोस और तिंगरेट गांवों में ग्लेशियर पिघलने से आई बाढ़ ने खेतों की फसल को नुकसान पहुँचाया और उरगोस सहित एक पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि अभी तक किसी की जान जाने की सूचना नहीं है। प्रभावित ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। नायब तहसीलदार उदयपुर रामदयाल ने कहा कि नुकसान का आकलन जल्द किया जाएगा।

शिमला के टॉलैंड में देवदार के तीन पेड़ गिरने से यातायात बाधित हुआ। राज्यभर में बुधवार सुबह 10 बजे तक दो नेशनल हाईवे समेत 328 सड़कें बंद रहीं। इसके अलावा 37 बिजली ट्रांसफार्मर और 181 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुईं। मंडी जिले में 180 सड़कें और 71 जल योजनाएं बाधित रहीं। अर्की-मांझू सड़क भी भूस्खलन के कारण बंद रही।

बीते रात को कसौली में 23.0, नयना देवी में 18.2, सराहन 15.0, बग्गी 14.6, करसोग 13.2, जोत 10.0 और धर्मपुर में 7.2 मिमी बारिश दर्ज की गई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कई हिस्सों में 19 अगस्त तक बारिश का दौर जारी रहेगा। 13 और 14 अगस्त को कांगड़ा और मंडी जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। शिमला व सिरमौर में 13 अगस्त, चंबा में 14 अगस्त को भी ऑरेंज अलर्ट है। 15 से 19 अगस्त तक येलो अलर्ट जारी रहेगा।

इस मानसून में 20 जून से 12 अगस्त तक प्रदेश में 240 लोग मारे गए, 324 घायल हुए और 36 लापता हैं। सड़क हादसों में 115 लोगों की मौत हुई। बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से 2,435 घर और दुकानों को नुकसान हुआ। 1,993 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं और 1,615 पालतू पशु मरे। कुल आर्थिक नुकसान 2,01,182.92 लाख रुपये पहुंचा।

पक्का भरो बाइपास में निर्माणाधीन बस स्टैंड के पास भूस्खलन से सड़क का 50 मीटर हिस्सा दरक गया। बारिश के कारण सीवरेज लाइन भी प्रभावित हुई। लोक निर्माण विभाग ने कहा कि बारिश से नुकसान हुआ है। बस स्टैंड का निर्माण 98 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।

सराज विकास खंड के भनवास गांव में अस्थायी पुलिया पार करते समय 63 वर्षीय पूर्ण चंद खड्ड में गिरकर मौत के घाट उतर गए। तेज बहाव और पत्थरों से चोट लगने के कारण स्थानीय लोगों ने उन्हें मानव श्रृंखला से बाहर निकाला, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित किया गया। इसी परिवार का छोटा भाई सुरेंद्र भी 30 जून की बाढ़ में मलबे में दबकर मर गया था।

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