गाजा पर कब्जे के ऐलान के बीच इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ग्रेटर इजराइल की अवधारणा का जिक्र कर खाड़ी देशों में हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मिशन बताया, जिसमें वह पूरी तरह से लगे हुए हैं। नेतन्याहू के इस प्रयास से फिलिस्तीनी क्षेत्रों के अलावा जॉर्डन, मिस्र और अन्य देशों के कुछ हिस्से भी इजराइल के दायरे में आ सकते हैं।
ग्रेटर इजराइल शब्द का प्रयोग बाइबिल में भी किया गया है और इसे मध्य पूर्व में ज़ायोनी योजना से जोड़कर देखा जाता है। ज़ायोनिज़्म के संस्थापक थियोडोर हर्ज़ल के अनुसार, इस अवधारणा में एक ऐसा यहूदी राज्य शामिल है जो मिस्र की फ़रात नदी तक फैला हो। आधुनिक युग में ग्रेटर इजराइल का पहला उल्लेख जून 1967 के छह दिवसीय युद्ध के बाद हुआ।
ग्रेटर इजराइल की परिकल्पना बाइबिल के योशू अध्याय 13 से 22 में दी गई सीमाओं पर आधारित है। इसमें यरुशलम के दक्षिणी इलाके से लेकर गलील सागर के उत्तर तक भूमि शामिल है। प्रतिज्ञित भूमि “नील नदी से फरात नदी तक” बताई गई है। इसका मतलब है कि इस परिकल्पना के अनुसार:
- पूर्व में ईराक का पश्चिमी हिस्सा
- पश्चिम में मिस्र का कुछ क्षेत्र
- उत्तर में लेबनान और सीरिया
- दक्षिण में सऊदी अरब के कुछ उत्तरी हिस्से
इस परिकल्पित सीमा के अनुसार, ग्रेटर इजराइल का क्षेत्रफल करीब 1 लाख वर्ग किमी होगा, जो वर्तमान इजराइल (लगभग 22 हजार किमी) से कई गुना बड़ा है और इसमें सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन, मिस्र और इराक के हिस्से भी शामिल होंगे।
ग्रेटर इजराइल का मुद्दा पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उभरा है। 1990 में काहिरा में हुए अरब शिखर सम्मेलन में लीबिया के तत्कालीन राष्ट्रपति मुअम्मर अल गद्दाफी ने फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात को ऐसे नक्शे दिखाए थे, जिनमें फिलिस्तीन, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, इराक, उत्तरी सऊदी अरब और मिस्र के बड़े हिस्से शामिल थे। इससे पहले इसी नक्शे को AIPAC (अमेरिकन इजराइल पब्लिक अफेयर्स कमेटी) सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया था।