चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव को दी 21 अगस्त की डेडलाइन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में यह स्पष्ट किया था कि वह राज्य सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने देंगी। यह बयान तब आया जब राज्य के चार अधिकारियों समेत कुल पांच लोगों पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगा।

हालांकि, बुधवार (13 अगस्त) को चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को दिल्ली तलब कर इन पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आयोग ने राज्य सरकार को 21 अगस्त तक कार्रवाई पूरी करने की समयसीमा दी है।

आरोपितों में दो ERO, दो AERO और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने अस्थायी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटरों के साथ अपनी पहचान पत्र साझा करके मतदाता सूची में फर्जी नाम दर्ज करवाए। आयोग ने इन अधिकारियों के निलंबन और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की सिफारिश की थी।

बरुईपुर पूर्व के ERO देबोत्तम दत्ता चौधरी, AERO तथागत मंडल, आर मैना के ERO बिप्लब सरकार, AERO सुदीप्त दास और डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हलदर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।

राज्य सरकार ने पहले ही सोमवार को बताया था कि AERO सुदीप्त दास और डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हलदर को आयोग के निर्देशानुसार कार्यमुक्त किया गया है, लेकिन FIR दर्ज नहीं की गई और न ही किसी को निलंबित किया गया। सरकार का कहना है कि काम के दबाव के कारण अधिकारी अपनी आईडी अस्थायी कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं।

मुख्य सचिव मनोज पंत से आयोग ने सवाल किया कि दिए गए आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया और राज्य सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करने को कहा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) लागू करने में सभी कदम कानूनी दायरे में हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले सवाल उठाया था कि क्या चुनाव नियम लागू होने से पहले आयोग के पास राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।

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