जुलाई में थोक मुद्रास्फीति में कमी: आम आदमी की थाली 2 साल में सबसे सस्ती

जुलाई में आम आदमी को महंगाई से बड़ी राहत मिली है। बीते दो साल के मुकाबले इस साल जुलाई में रोजमर्रा की चीज़ें सबसे सस्ती रही। सरकार ने हाल ही में जारी थोक मुद्रास्फीति (WPI) के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2025 में थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 0.58 प्रतिशत रही। यह जून में 0.13 प्रतिशत और जुलाई 2024 में 2.10 प्रतिशत थी।

सब्जी, पेट्रोल और खाने का तेल सस्ते हुए हैं। उद्योग मंत्रालय के अनुसार खाद्य पदार्थों, खनिज तेल, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और मूल धातुओं की कीमतों में कमी के कारण मुद्रास्फीति नीचे रही। खाद्य वस्तुओं में जुलाई में मुद्रास्फीति में 6.29% की गिरावट आई, जबकि जून में यह 3.75% थी। सब्जियों के दाम में जुलाई में 28.96% की गिरावट हुई।

विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 2.05% रही जबकि जून में 1.97% थी। ईंधन और बिजली में जुलाई में 2.43% की मुद्रास्फीति दर्ज की गई, जो जून के 2.65% से कम है।

खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) भी कम रही और जुलाई में यह आठ साल के निचले स्तर 1.55% पर आ गई। आरबीआई ने इसी महीने की शुरुआत में नीतिगत दर 5.5% पर यथावत रखी।

महंगाई दर मापने के दो तरीके हैं:

  • रिटेल महंगाई (CPI) – आम उपभोक्ता द्वारा चुकाई जाने वाली कीमतों पर आधारित, जिसमें खाने-पीने की चीज़ों का सबसे बड़ा हिस्सा (45.86%) होता है।
  • थोक महंगाई (WPI) – थोक बाजार में कारोबारी स्तर पर कीमतों का परिवर्तन मापती है। इसमें मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का हिस्सा 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल्स 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% है।

CPI आम जनता पर महंगाई के असर को दिखाता है, जबकि WPI थोक बाजार की कीमतों में बदलाव को दर्शाता है।

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