हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जगह-जगह भूस्खलन और बाढ़ से हालात बिगड़ गए हैं। सोमवार सुबह 10 बजे तक राज्य में तीन नेशनल हाईवे सहित करीब 400 सड़कें बंद थीं। 883 बिजली ट्रांसफार्मर और 122 पेयजल योजनाएं ठप पड़ीं। एनएच-305, एनएच-5 और एनएच-3 पर भूस्खलन के कारण वाहनों की आवाजाही बाधित है।
मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 192 सड़कें, 303 ट्रांसफार्मर और 44 जलापूर्ति योजनाएं बंद हैं। वहीं, किन्नौर में पोवारी के पास एनएच-5 का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा धंस गया है। छोटे वाहनों को रिकांगपिओ-शिल्टी मार्ग से डायवर्ट किया जा रहा है। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भी कई स्थानों पर भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से बाधित हुआ है, जिससे गाड़ियां फंस गईं।
तत्तापानी पुल से आगे सड़क सतलुज में समाई
करसोग को शिमला से जोड़ने वाली मुख्य सड़क तत्तापानी पुल से लगभग 200 मीटर आगे धंस गई है। बड़ा हिस्सा उफनती सतलुज नदी में समा गया, जिससे यातायात पूरी तरह बंद हो गया है। सड़क की चौड़ाई घटकर सिर्फ 1.5 मीटर रह गई है, जिसे आवागमन के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। थली पुल से होकर जाने वाला वैकल्पिक मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। नतीजतन सुन्नी डिवीजन के अंतर्गत इस समय कोई वैकल्पिक रास्ता उपलब्ध नहीं है।
लगातार बारिश का पूर्वानुमान
पिछली रात धौलाकुआं में 113, जोत में 70.8, पालमपुर में 58.7 और धर्मशाला में 24.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 24 अगस्त तक वर्षा का क्रम जारी रहने की संभावना जताई है। 21 अगस्त को छोड़कर अन्य दिनों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मानसून में भारी तबाही
20 जून से 17 अगस्त तक इस मानसून सीजन में 263 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 332 लोग घायल हुए और 37 अभी भी लापता हैं। केवल सड़क हादसों में ही 127 लोगों की जान गई। बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से अब तक 2,814 मकान-दुकानें और 2,201 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। 1,626 पालतु पशु मारे गए। कुल नुकसान का अनुमान 2,17,354.38 लाख रुपये तक पहुंच चुका है।
एचआरटीसी ने शुरू की ट्रांस-शिपमेंट सेवा
सुन्नी-करसोग मार्ग बंद होने के बाद एसडीएम करसोग गौरव महाजन के निर्देश पर एचआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रांस-शिपमेंट सेवा शुरू की है। करसोग यूनिट की एक 47-सीटर और एक इलेक्ट्रिक बस को इस काम में लगाया गया है, जबकि तत्तापानी में आपातकालीन स्थिति के लिए एक मिनी बस तैनात की गई है। इसके अलावा, करसोग से हरिद्वार और दिल्ली जाने वाली लंबी दूरी की बसें सुन्नी के नजदीक यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई गई हैं।
पांवटा में स्कूल-कॉलेज बंद
भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए पांवटा उपमंडल के सभी शैक्षणिक संस्थानों में सोमवार को अवकाश घोषित किया गया। हालांकि शिक्षकों को छुट्टी नहीं दी गई, जिसके चलते कुछ शिक्षक जोखिम उठाकर स्कूल पहुंचे। स्थानीय बुद्धिजीवियों और संगठनों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं।