इससे पहले वांग यी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बीच सीमा मुद्दों पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता संपन्न हुई। इस बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने सीमा प्रश्न और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर विस्तृत और गहन विचार-विमर्श किया।
वांग यी ने कहा कि कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी की भेंट में जो अहम सहमति बनी थी, उसने सीमा विवाद के समाधान और द्विपक्षीय संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने की राह तय की है। उनके अनुसार, सीमा की स्थिति अब स्थिर होती जा रही है और दोनों देश विकास की ओर बढ़ते पड़ोसी के रूप में साझा मूल्यों व हितों को आगे बढ़ा रहे हैं।
बैठक के दौरान एनएसए डोभाल ने भी माना कि कजान वार्ता भारत-चीन संबंधों के लिए एक अहम मोड़ रही, जिसने आपसी विश्वास को मजबूत किया और सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद की। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भारत और चीन कई समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में सहयोग बढ़ाना और परस्पर समझ को गहरा करना दोनों देशों और वैश्विक शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने को उत्सुक हैं और भारत, एससीओ के अध्यक्ष के रूप में चीन के समर्थन को सराहता है।
वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा संबंधी वार्ताओं से मिले सकारात्मक परिणामों की समीक्षा की और 2005 में तय राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों के आधार पर न्यायसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने की प्रतिबद्धता दोहराई। इसके साथ ही, सीमा प्रबंधन और नियंत्रण को मजबूत कर क्षेत्र में शांति और सौहार्द कायम रखने पर सहमति जताई गई।
साथ ही यह भी तय हुआ कि अगले वर्ष चीन में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर 25वीं विशेष प्रतिनिधि बैठक आयोजित की जाएगी। दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।