राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपने पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को जगह दी है। कक्षा 3 से 12वीं तक के लिए दो मॉड्यूल जारी किए गए हैं, जिनमें ऑपरेशन सिंदूर को भारत की सैन्य रणनीति और वीरता की मिसाल के रूप में पेश किया गया है। मॉड्यूल में उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन यह उनके सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के निर्देश पर किया गया था।
प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर के लिए मॉड्यूल का शीर्षक है ‘ऑपरेशन सिंदूर- वीरता की गाथा’, जबकि कक्षा 9 से 12 के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर- सम्मान और बहादुरी का मिशन’ रखा गया है। इन मॉड्यूल का उद्देश्य छात्रों में भारत की सैन्य शक्ति और रणनीति के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसमें वायु रक्षा प्रणालियों जैसे S-400 का भी उल्लेख किया गया है, जिसने दुश्मन के विमानों और ड्रोन को निष्क्रिय किया।
एनसीईआरटी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि शांति बनाए रखने और शहीदों के सम्मान की प्रतीक घटना थी। ऑपरेशन का नाम पीड़ितों की विधवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया।
मॉड्यूल में भारत में शांति भंग करने के पाकिस्तान के प्रयासों, जैसे 2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों का भी जिक्र है। ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ आवाज उठाई और शांतिप्रिय जनता की असली प्रतिक्रिया सामने आई।
मॉड्यूल में 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पीओजेके में नौ आतंकवादी ठिकानों पर भारत की सटीक कार्रवाई का विवरण दिया गया है। भारतीय सेना और वायु सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख ठिकानों को नष्ट किया। एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया कि इस अभियान में किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा और केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
इसके अलावा, मॉड्यूल में देशभर की एकजुटता को भी दर्शाया गया है। मुस्लिम समुदाय ने कई शहरों में काली पट्टियां बांधकर हमले की निंदा की, कश्मीर में दुकानदारों ने विरोध स्वरूप दुकानें बंद कीं और स्थानीय आबादी ने आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठाए।
मॉड्यूल में यह भी बताया गया है कि भारत ने हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है और 1947, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में आतंकवादियों और दुश्मनों को कड़ा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर को सिर्फ सैन्य अभियान नहीं, बल्कि शांति की रक्षा और शहीदों के सम्मान का प्रतीक बताया गया है।