विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि बिजली निगम के निजीकरण टेंडर जारी होते ही वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे और सामूहिक रूप से जेल भरो आंदोलन भी करेंगे। इसके साथ ही समिति ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार को पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
पत्र में समिति ने कहा है कि निगम प्रबंधन किसी भी समय निजीकरण के रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) दस्तावेज नियामक आयोग को भेज सकता है, लेकिन आयोग को इसे मंजूरी देने से पहले संघर्ष समिति को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए। समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि नियमों की अनदेखी कर किया गया निजीकरण किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने बताया कि निजीकरण के बाद लगभग 50 हजार संविदा कर्मचारियों की छंटनी और 16,500 नियमित कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट आने की संभावना है। कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों के पदावनति और नौकरी जाने का खतरा भी मंडरा रहा है।
संघर्ष समिति ने निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग द्वारा तैयार किए गए निजीकरण प्रस्ताव को भी गलत बताते हुए तत्काल रद्द करने की मांग की है। समिति ने कहा कि उनके कार्यप्रणाली पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं और नए निदेशक वित्त संजय मेहरोत्रा ने अब कार्यभार संभाल लिया है, ऐसे में नारंग का प्रस्ताव अमान्य है।