भारतीय रेलवे रोजाना लाखों यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाने के साथ-साथ नई तकनीक और नवाचार से भी सबको चौंकाती रही है। इसी क्रम में रेलवे ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो देश की ऊर्जा ज़रूरतों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें साझा की हैं, उनमें रेल की पटरियों के बीच लगे सोलर पैनल दिख रहे हैं, जिनके ऊपर से ट्रेन इंजन गुजरता है।
यह अनोखा प्रयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) में किया गया है। यहां 70 मीटर लंबे ट्रैक पर पटरियों के बीच खाली जगह में 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, इनसे 15 किलोवाट पीक बिजली उत्पादन होगा, जिसका इस्तेमाल कारखाने के भीतर इंजनों की टेस्टिंग और अन्य औद्योगिक गतिविधियों में किया जाएगा। यदि यह मॉडल सफल रहा तो बड़े पैमाने पर लागू कर रेलवे की ऊर्जा खपत में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पटरियों पर लगातार काम और मेंटेनेंस को देखते हुए रिमूवेबल सोलर पैनल लगाए गए हैं। इन्हें रबर पैड और एपॉक्सी एडहेसिव की मदद से फिक्स किया गया है। एक पैनल का आकार 2278×1133×30 मिलीमीटर और वजन लगभग 32 किलो है। ज़रूरत पड़ने पर ये पैनल आसानी से हटाए जा सकते हैं और कुछ ही घंटों में दोबारा फिट किए जा सकते हैं।
शुरुआती चरण में इस बिजली को ग्रिड से जोड़कर BLW की आंतरिक ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। भविष्य में तकनीक के और उन्नत होने पर इन्हें सीधे ट्रेनों को ऊर्जा देने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इस तरह का प्रयोग पहले स्विट्जरलैंड के एक छोटे गांव में भी हुआ था, जहां 100 मीटर ट्रैक पर 48 सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन किया जा रहा है।