जिला जज जय प्रकाश तिवारी की अदालत में बुधवार को ज्ञानवापी के पुराने मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने से संबंधित रिवीजन अर्जी और स्थानांतरण के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई। दोनों याचिकाओं की अगली सुनवाई 8 सितंबर के लिए तय की गई है। इस दौरान वादमित्र रस्तोगी ने रिवीजन अर्जी पर आपत्ति जताई।
अधिवक्ता अनुष्का तिवारी ने स्थानांतरण संबंधी पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जबकि वादमित्र रस्तोगी ने लगातार इसका विरोध किया। जिला जज ने पहले स्थानांतरण आवेदन खारिज कर दिया था। आदेश के बाद नए महत्वपूर्ण तथ्य और दस्तावेज सामने आए हैं, जिनमें विभिन्न तीर्थस्थलों के महंतों और पुजारियों समेत कई हिंदू भक्तों द्वारा दाखिल हलफनामे शामिल हैं।
यह मामला स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास, प्रो. रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय द्वारा दायर जनप्रतिनिधि वाद से जुड़ा है और सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) न्यायालय में लंबित है। इसे जनता की भगवान विश्वेश्वर (विश्वनाथ) के प्रति आस्था से जोड़ा गया है।
निगरानी अर्जी पर बहस, अगली सुनवाई 27 अगस्त
सुनवाई के दौरान जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी प्रकरण के मूल वाद में पूर्व वादी स्व. हरिहर पांडेय की तीन बेटियों की ओर से दाखिल निगरानी अर्जी पर बहस हुई। इस मामले में निगरानी कर्ता और वादमित्र की ओर से तर्क प्रस्तुत किए गए। अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी, जिसमें अंजुमन की ओर से भी बहस होगी।
पिछली सुनवाई में बेटियों – मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्र और रेनू पांडेय – की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने लोअर कोर्ट से मूल पत्रावली तलब करने की गुहार लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया। इसके बाद बेटियों ने मृतक हरिहर पांडेय के स्थान पर वारिसान के रूप में प्रतिस्थापित होने की अर्जी और रिकॉल प्रार्थना दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।